- स्कूल मार्केट में NCERT की बुक्स न होने का उठाते हैं फायदा

- दिसम्बर से डिमांड भेजने के बाद भी नहीं मिल रहीं बुक्स

-स्कूल प्रबंधन किताबें न मिलने का फायदा उठाकर कर रहे मुनाफाखोरी

LUCKNOW : सीबीएसई बोर्ड से जुडे़ स्कूलों का नया सेशन शुरू हो गया है। मगर स्टूडेंट्स बुक्स को लेकर टेंशन में हैं। उसकी टेंशन दूर करने के प्रयास में पापा पसीने-पसीने हो रहे हैं। काफी मशक्कत करने के बाद भी अपने बच्चे के लिए बुक्स नहीं ला पा रहे हैं। वजह है मार्केट में अधिकतर सब्जेक्ट्स की बुक्स नहीं मिल रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण एनसीईआरटी की ओर से समय से बुक्स की सप्लाई न करना है।

मार्केट में नहीं बुक्स

सीबीएसई बोर्ड का अपना अलग क्रेज है। सिटी में सीबीएसई स्कूलों में नए सेशन पहली अप्रैल से शुरू हुआ। एडमिशन के साथ ही क्लासेस भी शुरू हो गई, लेकिन अब बुक्स की प्रॉब्लम खड़ी हो गई है। वजह यह है कि हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों की कई किताबें मार्केट से गायब हैं। मौजूदा समय में क्लास छह की हिंदी, इंग्लिश, क्लास सेवन की मैथ, इंग्लिश, भूगोल, क्लास नौ का भूगोल, इकोनॉमिक्स व पॉलिटिक्स, हाईस्कूल की हिंदी, इंग्लिश, मैथ्स और साइंस सहित तमाम ऐसी बुक्स हैं, जो या तो मार्केट में नहीं हैं या फि र बड़ी मुश्किल से मिल रही हैं। पैरेंट्स परेशान हैं और गर्मी में दुकानों का चक्कर लगा रहे हैं पर निराशा ही हाथ लग रही है।

फायदा उठा रहे स्कूल्स

एनसीईआरटी की बुक्स की इसी कमी का फायदा उठाते हुए सिटी के करीब साठ फीसदी से ज्यादा स्कूल अपने यहां किसी दूसरे पब्लिशर की बुक्स को चलाने को प्रिफरेंश देते हैं। स्कूल मैनेजमेंट सीबीएसई और एनसीईआरटी की इसी कमी का फायदा उठाकर बोर्ड से मिलती-जुलती बुक्स को अपने स्कूलों में चलाते हैं। इसके एवज में स्कूल प्रबंधक पब्लिशर से दस से पंद्रह फीसदी का मुनाफा लेते हैं। अंतत: यह अतिरिक्त रकम अभिभावकों को अपनी जेब से ही भरना पड़ रहा है।

हर क्लास में महंगी बुक्स

स्कूल संचालकों ने बुक्स की लिस्ट कुछ इस तरह बनाई है कि दो से चार बुक्स के दाम क्भ्0 से फ्00 रुपये के बीच है। बुक स्टोर वालों और स्कूल संचालकों को भी मालूम है कि बिना बुक्स खरीदे पैरेंट्स का गुजारा नहीं है, इसलिए वे अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। जितनी महंगी बुक्स होगी, स्कूल संचालकों को उतना ही ज्यादा कमीशन मिलेगा। सिटी के स्कूलों का हाल यह है कि केजी वन से लेकर पांचवीं तक की सारी बुक्स के दाम सभी स्कूल में अलग-अलग है। जबकि सभी स्कूल सीबीएसई पैर्टन की है और सीसीई पैर्टन के तहत एनसीईआरटी के कोर्स के मुताबिक पढ़ाई होती है। स्कूल का जितना बड़ा नाम है, वहां की बुक्स के उतने ऊंचे दाम हैं।

निर्देश गया कूड़े में

पिछले साल मार्च में सीबीएसई ने सभी स्कूलों में टीचर्स को सीसीई फार्मेट में एनसीईआरटी की बुक्स को पढ़ाना अनिवार्य किया था। मगर इसका पालन किसी स्कूल में नहीं हुआ। बोर्ड ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर बुक्स की लिस्ट अपलोड करनी होगी। इसमें हर क्लास की बुक का रेट कितना है। इसकी जानकारी देनी होगी, ताकि पैरेंट्स भी वेबसाइट से ही बुक्स को देख सकें। सीबीएसई बोर्ड ने यह निर्देश ख्0क्फ्-क्ब् से लागू करने को कहा था, लेकिन किसी भी स्कूल ने इसे नहीं माना।

बुक्स डिपो वाले एनसीईआईटी की बुक्स दिसम्बर में ही बुक्स की बुकिंग शुरू हो जाती है। इसके बाद भी सेशन के शुरुआत से ही बुक्स की कमी रहती है, जो अगस्त तक बनी रहती है।

पीके श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक संघ।

बोर्ड की ओर से सभी स्कूलों को सिर्फ एनसीईआरटी की बुक्स ही चलाने का ऑर्डर दिया गया है। साथ ही, बुक्स की रेट लिस्ट भी अपनी वेबसाइट पर जारी करने को कहा है।

डॉ। जावेद आलम, सीबीएसई बोर्ड कोऑडिनेटर।