सीबीएसई में परीक्षा व्यवस्था में किया बदलाव, दो दशक पुरानी व्यवस्था लागू

पूरी किताब से पूछे जाएंगे एनुअल एग्जाम में सवाल, ग्रेड की जगह होगी मार्किंग

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ALLAHABAD: स्कूलों में पढ़ाई के पैटर्न को लेकर सीबीएसई बोर्ड हमेशा से बदलाव का पक्ष धर रहा है। यहीं कारण है कि कुछ सालों पहले बोर्ड ने कई बदलाव किए थे। जिसमें कोर्स से लेकर एग्जाम के पैटर्न को बदल दिया गया था। सीसीई पैटर्न के बाद बच्चों की मौज हो गई थी, लेकिन, कुछ सालों में बच्चों की पढ़ाई और ज्ञान के स्तर में गिरावट दर्ज की गई। जिसको देखते हुए सीबीएसई ने फिर से अपने पुराने पैटर्न को अपनाते हुए एग्जाम पैटर्न में बड़ा बदलाव कर दिया। अब छात्रों के लिए पूरी किताब पढ़ना मजबूरी होगी। कक्षा एक में हों या फिर दसवीं में, हर क्लास में फेल होने की संभावना रहेगी।

पुराने पैटर्न में क्या था

मंथली टेस्ट कंडक्ट कराया जाता था स्कूलों में टेंथ तक

कोर्स का एक हिस्सा ही टेस्ट में पूछा जाता था

दूसरे मंथ के टेस्ट में पहले मंथ के टेस्ट में शामिल विषयों से सवाल नहीं आते थे

एक्टिविटी पर भी निर्धारित होते थे मा‌र्क्स

इसी के आधार पर तैयार होता था रिजल्ट

बच्चों को स्कूल अपने स्तर पर देते थे ग्रेड

दसवीं तक कोई बच्चा नहीं किया जाता था फेल

नई व्यवस्था में क्या

अब पूरे साल में तीन क्वार्टरली और एक फाइनल एग्जाम होगा

बच्चों को पहले क्वार्टर में एक चौथाई और हाफइयरली में आधे कोर्स से आएंगे सवाल

फाइनल एग्जाम में पूरी किताब से सवाल पूछा जाएगा

यह व्यवस्था करीब एक दशक पहले लागू थी, ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने पर इसे हटा दिया गया था

एग्जाम के मा‌र्क्स ही चढ़ेंगे मार्कशीट पर

एक्टिविटी के मा‌र्क्स का ओवरआल रिजल्ट पर सिर्फ 10 नंबर का इंपैक्ट

पढ़ाई में कमजोर छात्रों को फिर से उसी कक्षा में करनी होगी पढ़ाई

नई व्यवस्था के फायदे

बच्चा पूरे साल पूरे कोर्स की पढ़ाई करेगा

इससे पुराना पढ़ाया गया कोर्स रिवाइज होता रहेगा

11वीं में आने के बाद बच्चे की परफारमेंस अचानक खराब नहीं होगी

नंबर सिस्टम लागू हो जाने से बच्चों को अपनी पढ़ाई को आंकलित कर सुधारने का मौका मिलेगा

इसका पॉजिटिव इफेक्ट उनके कॅरियर पर पड़ेगा

सीबीएसई का कदम स्वागत योग्य है। इसका पॉजिटिव असर बच्चों पर पड़ेगा। बच्चे भी पूरी किताब को रिवाइज करने के लिए प्रेरित होंगे। चैप्टर वाइज पढ़ाई का ट्रेंड बदलेगा।

जया सिंह

प्रिंसिपल, डीपी पब्लिक स्कूल

इससे बच्चों के अंदर सिलेक्टिव स्टडी की प्रवृति बदलेगी। पिछले साल तक लागू रहा स्टडी पैटर्न आगे चलकर बच्चों के लिए प्रॉब्लम बन जाता था। सबसे अधिक असर मैथ्स और लैग्वेज सब्जेक्ट पर पड़ेगा। सीबीएसई का यह डिसीजन बेहतर है।

सुष्मिता कानूनगो

प्रिंसिपल, एमपीवीएम

पहले पैरेंट्स की शिकायत होती थी कि टेंथ तक बच्चा अच्छी परफार्मेस देता है। 11वीं में आते ही बच्चें की परफार्मेस वीक हो जाती है। इसके पीछे सबसे बड़ा रीजन था कि टेंथ तक ज्यादातर बच्चे चैप्टर वाइज ही पढ़ते थे।

-मोनिका दत्ता

प्रिंसिपल, ऋषिकुलम्