-सीबीएसई दसवीं के रिजल्ट में रूल्स का फायदा

-'फार्मेटिव असेसमेंट' की वजह से सैकड़ों स्टूडेंट्स को मिला ए-1

VARANASI

सीबीएसई क्0वीं में स्टूडेंट्स की पढ़ाई संग स्पो‌र्ट्स समेत अन्य एक्टिविटीज ने स्टूडेंट्स की ग्रेडिंग में इजाफा कर दिया। लिखित परीक्षा में ए-ख् ग्रेड पाने वाले स्टूडेंट अन्य एक्टिविटीज में अच्छा कर ए-क् ग्रेड पाने में कामयाब रहे। इस साल भी स्कूल्स में क्0 सीजीपीए पाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या अधिक रही। कुल मिलाकर खेलकूद व अन्य गतिविधियों में आगे रहने वाले स्टूडेंट्स को इस एग्जाम में जबरदस्त फायदा मिला।

ऐसे बढ़ा गे्रड

फार्मेटिव असेसमेंट (स्पो‌र्ट्स समेत अदर एक्टिविटीज) में अच्छे ग्रेड लाने के चलते शैक्षणिक परीक्षा की भी ग्रेडिंग बढ़ी है। रिजल्ट में सीबीएसई ने मा‌र्क्सशीट पर विधिवत स्टार अंकित कर इसकी जानकारी भी स्टूडेंट्स को दी। सीबीएसई की ओर से डिक्लेयर रिजल्ट में ए क्, ए ख्, बी क्, बी ख् आदि ग्रेड दर्ज है। इस ग्रेड में लिखित परीक्षा के साथ ही फार्मेटिव असेसमेंट के मा‌र्क्स भी शामिल हैं। रिजल्ट में सह शैक्षणिक गतिविधियों को दूसरे पार्ट में दर्ज कर रखा है। इसमें ए, ए प्लस, बी, बी प्लस आदि ग्रेड दिए गए हैं। सीबीएसई के फार्मूले के अनुसार ए प्लस ग्रेड के पांच, ए के चार, बी प्लस के तीन, बी के दो, सी के एक व डी के जीरो मा‌र्क्स हैं। इसमें लगभग नौ एक्टिविटीज शामिल की गई हैं। रिजल्ट के थर्ड पार्ट में स्पो‌र्ट्स व अन्य एक्टिविटीज को शामिल किया गया है। इसमें ए प्लस, बी आदि ग्रेड दिए गए हैं। इसमें अधिकतम तीन मा‌र्क्स (ए प्लस) निर्धारित है।

बोर्ड ने लगा दिया है स्टार

सीबीएसई के रूल्स का फायदा जिन सब्जेक्ट्स में दिया है, उनमें स्टार लगाकर चिह्नित भी कर दिया है। सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर व डालिम्स रोहनिया के प्रिंसिपल वीके मिश्र ने बताया कि अब स्टूडेंट्स को सिर्फ मार्कशीट नहीं मिलते बल्कि उनकी पढ़ाई की कुंडली ही दे दी जाती है। छात्रों के विभिन्न सब्जेक्ट में प्राप्त मा‌र्क्स के साथ ही बच्चे की थिंकिंग स्किल, सोशल स्किल, इमोशनल स्किल, स्कूल में छात्र का व्यवहार, शिक्षकों के साथ संबंध, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी, वैल्यू सिस्टम, खेलकूद प्रतियोगिता, सृजनात्मक व रचनात्मक कार्य, वैज्ञानिक अभिरुचि सहित अन्य गतिविधियों के अलावा बच्चे के साथ पेरेंट्स का व्यवहार आदि पर मा‌र्क्स मिलते हैं। इसके पीछे बोर्ड की यही मंशा है कि बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं तो ऐसा नहीं कि वह किसी अन्य क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकते। ग्रेडिंग के बाद पेरेंट्स को अपने बच्चे का गंभीरता से मूल्यांकन करना चाहिए।