- क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन की दिशा में सीबीएसई का नया निर्देश

- स्कूल्स को दी जाएगी रैंकिंग, हर शहर के टॉप फाइव स्कूल्स को ही मिलेगा वेटेज

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amarendra.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR: सीबीएसई से एफिलिएटेड स्कूल्स को अब वेटेज लेने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। अब उन्हें अच्छी रैंक में आने के बाद ही बोर्ड की तरफ से वेटेज दिया जाएगा। इसके लिए सीबीएसई को-ऑर्डिनेटर्स समेत प्रिंसिपल्स को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बार्ड का मानना है कि

टॉप फाइव को मिलेगा सर्टिफिकेट

क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन को बढ़ावा देने की दिशा में सीबीएसई बोर्ड ने नई पहल की है। पहले बोर्ड ने निर्देश दिया था कि क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन की मॉनिटरिंग के तहत स्कूल्स की रैंकिंग की जाएगी। अब इसमें नया नियम जोड़ा गया है। जिसके तहत पहले डिस्ट्रिक्ट वाइज फिर रीजन वाइज टॉप टेन स्कूल्स की लिस्ट बनाई जाएगी। जिनमें से बाद में हर सिटी के टॉप फाइव स्कूल्स की स्क्रीनिंग कर उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। हर सिटी के इन्हीं टॉप फाइव स्कूल्स को बोर्ड की तरफ से वेटेज की सुविधा दी जाएगी।

टीम जानेगी हर बारीकी

बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक, किस स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है, ये जानने के लिए बोर्ड की टीम स्कूल्स का सर्वे करेगी। गोरखपुर में कुल 70 सीबीएसई स्कूल हैं। इन स्कूल्स में भी ये सर्वे साल में दो बार किया जाएगा। जिसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि क्या स्कूल सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएटेड है या नहीं। प्रत्येक क्लास व सेक्शन में मानकों के अनुरूप स्टूडेंट्स का एडमिशन है या नहीं। बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के साथ बौद्धिक विकास के लिए क्या-क्या इंतजाम किए गए हैं। इन तमाम बातों की मॉनीटरिंग की जाएगी।

मायने रखेगा फीडबैक

यही नहीं, स्कूल ग्राउंड में कौन-कौन से गेम खेलने को मिलते हैं, इसकी भी जानकारी ली जाएगी। यह जानकारी केवल स्कूल मैनेजमेंट या प्रिंसिपल ने नहीं बल्कि टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ समेत फोर्थ ग्रुप इंप्लॉइज से फीडबैक लिया जाएगा। उसके बाद टीम कुछ पैरेंट्स से भी कॉन्फिडेंशियल फीडबैक लेगी। वहीं, सिक्योरिटी के अलावा किन पब्लिशर्स की बुक्स से स्कूल में पढ़ाई कराई जा रही है। इसकी भी जानकारी बोर्ड की टीम पैरेंट्स से लेगी। इन तमाम पहलुओं पर सर्वे पूरा कर टीम एक महीने के भीतर रीजन वाइज स्कूल्स की रैंकिंग डिसाइड करेगी।

देखा जाएगा पांच साल का परफॉर्मेस

वेटेज दिए जाने के नए नियम के मुताबिक

स्कूल्स में पिछले पांच साल के रिजल्ट परफार्मेस देखे जाएंगे। क्लास 10वीं व 12वीं की पांच साल की अलग से रिपोर्ट बनाई जाएगी। कितना प्रतिशत एवरेज और हाई परसेंटेज जा रहा है, इसके आधार पर अलग से रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इससे स्कूल्स की मोनोपॉली समाप्त होने के साथ ही क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन में अच्छा रैंक पाने के लिए कड़ा कॉम्प्टीशन होगा। जिसके चलते स्कूल्स अपनी व्यवस्थाएं करने पर पूरा जोर देंगे।

वर्जन

वेटेज पाने के लिए स्कूल्स को क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन की रैंकिंग में बेहतर परफॉर्म करना होगा। बोर्ड के इस नए नियम से स्कूलों में निश्चित ही शिक्षा का स्तर और सुधरेगा।

- दीपिका अरोड़ा, को-ऑर्डिनेटर, सीबीएसई बोर्ड