RANCHI: धोखाधड़ी कर सीसीएल को 50 लाख रुपए का चूना लगाने के आरोप में सीसीएल अधिकारी सहित छह अभियुक्तों को दोषी पाकर अदालत ने चार-चार वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सभी छह अभियुक्तों पर कुल 19 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर अभियुक्तों को एक-एक वर्ष की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा काटनी होगी। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्रा की अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को यह सजा सुनाई व जुर्माना लगाया। सजा सुनाए जाने के बाद सभी अभियुक्तों को बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। अदालत ने एनके एरिया डकरा के तत्कालीन सहायक मुख्य सुरक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह, मेसर्स एमकेजेड सिक्यूरिटी सर्विस कालघाटी हजारीबाग के संचालक इरफान सैफ, कंपनी के मैनेजर रविन्द्र कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, संजय कुमार, विनोद कुमार को चार-चार वर्ष की सजा सुनाई है। वहीं, ऑफिसर मनोज कुमार सिंह को चार लाख और अन्य आरोपियों को तीन-तीन लाख रुपए जुर्माना भी लगाया। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में सीबीआइ 26 लोगों की गवाही दर्ज की गई।

क्या है मामला

अभियुक्तों के खिलाफ आरोप था कि एमकेजेड सिक्यूरिटी सर्विस के साथ अनुबंध पर 55 सिक्यूरिटी पर्सनल उपलब्ध कराए जाने को लेकर 18 फरवरी 2006 को सीसीएल का एग्रीमेंट हुआ था। शर्त थी कि 90 परसेंट सिक्यूरिटी आर्मी की सर्विस से सेवानिवृत व्यक्ति को रखा जाए। लेकिन एग्रीमेंट के बाद कंपनी ने कभी सिक्यूरिटी भेजा ही नहीं। सीसीएल अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर कंपनी के अधिकारियों ने सीसीएल के वर्क ऑर्डर व एग्रीमेंट का उल्लंघन किया। बिना सुरक्षा उपलब्ध करवाए, बिल का भुगतान करवा लिया। मार्च 2006 से दिसंबर 2007 तक सीसीएल का 55 लाख 74 हजार 903 रुपए का भुगतान ले लिया। एग्रीमेंट के हिसाब से सीसीएल को करीब 50 लाख रुपए की आर्थिक क्षति हुई। इस मामले में सीबीआइ की धनबाद शाखा ने 29 फरवरी 2008 को सीसीएल एनके एरिया रांची के तत्कालीन सहायक मुख्य सुरक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह के अलावा मेसर्स एमकेजेड सिक्यूरिटी सर्विसेज हजारीबाग के इरफान सैफ, रवींद्र कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह, संजय कुमार व विनोद कुमार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी। यह प्राथमिकी सीबीआइ धनबाद के तत्कालीन एसपी वीपी आर्या ने दर्ज कराई थी। आरोप सीसीएल के साथ धोखाधड़ी का था, जो मार्च 2006 से दिसंबर 2007 के बीच की गई थी। इस मामले में 19 दिसंबर 2008 को सीबीआइ ने आरोप पत्र दाखिल किया था। तब से ही मामला ट्रायल में चल रहा था।