- शहर ने उत्साह से मनाया मकर संक्रांति का पर्व

छतों पर पेंच लड़ाते दिखे लोग, सड़कों पर रहा सन्नाटा

नये चावल की खिचड़ी और लाई- पट्टी का चला दौर

VARANASI

सन सन कर बहती ठंडी हवाएं भी लोगों के त्योहारी उत्साह को कम न कर सकीं। ठंड को दरकिनार करते हुए लोगों ने पूरे उत्साह के साथ शनिवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया। घरों की छतें जहां एक ओर पतंगबाजों से गुलजार रहीं तो गंगा के घाट पुण्य की डुबकी लगाने वालों से। लाई, पट्टी, खिचड़ी के दौर ने पर्व की परंपरा को गहरा किया।

हर छत पर हाथों में डोर

पर्व की खुशियां रहीं कि लोग घरों की छतों पर पतंगों की डोर ढीलते-खींचते नजर आये। शहर की फिजां में दिन भर भाक्काटे का शोर तैरता रहा। लाला, छड़ीला, धारा, मत्थल, कंठा और न जाने कितने ही प्रकार की रंग-बिरंगी पतंगों से आसमान व्यस्त रहा। कॉलोनियों की अपेक्षा पक्के महाल के मकानों पर तो पतंबगाजी का उत्साह कुछ अलग ही रहा। पतंग लूटने और उड़ाने का दौर सुबह से जो शुरू हुआ तो अंधेरा होने तक जारी रहा। बच्चों के साथ 'पापा' जी ने भी खूब पतंगे उड़ायी। महिलाएं भी घर का काम काज निपटा पर छतों पर ही दिखाई दीं। कई लोगों ने अपनी छतों पर म्युजिक सिस्टम भी लगा दिया था। जो नये पुराने गीतों का आनंद लेते हुए पतंगबाजी का मजा लूट रहे थे।

खिचड़ी का लिया स्वाद

खलिहानों से घर में नया अन्न पहुंचता है। इसी की खुशी में मनाये जाने वाले इस त्योहार पर खिचड़ी खाने की परंपरा है। इसके चलते अधिकांश लोगों के घरों में नये चावल की खिचड़ी बनाई गयी। चोखा, अचार, पापड़, दही चटनी के मिले साथ ने खिचड़ी का स्वाद और भी बढ़ा दिया। गुड़ की पट्टी, लाई, गट्टा और चूड़ा मटर का भी दौर चला।

लगायी पुण्य की डुबकी

मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान और दान की भी परंपरा है। गंगा घाटों पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी। लोगों ने साम‌र्थ्य के अनुसार अन्न का दान भी किया। विभिन्न समाजिक संगठनों ने स्नानार्थियों के लिए खाने- पीने की चीजों के नि:शुल्क वितरण कैंप लगाये।