केन्द्र सरकार करेगी परिषदीय स्कूलों के छात्रों का बौद्धिक परीक्षण

आगरा। मोदी सरकार उत्तर प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का टेस्ट लेगी। केन्द्र सरकार परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा पांच से आठ तक के स्टूडेंट्स का बौद्धिक स्तरीय टेस्ट कराएगी। विभागीय सूत्रों की मानें तो स्कूलों में गिर रहे शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए यह कदम उठाया गया है। केन्द्र सरकार पूर्व में स्कूलों का सर्वे एनजीओ 'असर' से कराती थी, लेकिन यह सर्वे एनजीओ से हटकर होगा।

पहली बार होगा 75 जिलों में सर्वे

शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाली संस्था असर हर साल देशभर में व्यापक स्तर पर सर्वे कर रिपोर्ट जारी करती थी। अब केन्द्र सरकार अपने स्तर से बच्चों के बौद्धिक स्तर का पता लगाएगी। पिछले साल केन्द्र ने इसके लिए पहल की थी। इसके तहत 10 जिलों में प्रायोगिक तौर पर सर्वे कराया गया। अब पहली बार प्रदेश के सभी 75 जिलों में कक्षा पांच से आठ तक के स्टूडेंट्स में सर्वे कराया जाएगा।

तैयार हो चुका है खाका

पिछले महीने सर्व शिक्षा अभियान, एससीईआरटी, डायट के अधिकारियों के अलावा कुछ एनजीओ और शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई थी। इसमें सर्वे का शुरुआती खाका तैयार किया गया। सर्वे के प्रश्नों को भी तैयार कर लिया गया है।

'असर' से होगा डिफरेंट

सरकार द्वारा कराए जाने वाला सर्वे एनजीओ असर से कुछ अलग होगा। संस्था कुछ गांवों का चयन करता है और कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों से कुछ सवाल पूछते हैं। सरकार द्वारा कराए जाने वाले सर्वे में लिखित प्रश्न-पत्र तैयार किए गए हैं। इसमें ऑब्जेक्टिव प्रश्न होंगे। टीमें स्कूलों में जाकर यह प्रश्न-पत्र देंगी। निश्चित समय में स्टूडेंट्स को सवालों के जवाब देने होंगे।

अभी तक हमारे पास लिखित में कोई ऐसा आदेश नहीं आया है। हां सुनने में जरूर आया है। सभी टीचर्स को अच्छे से टीचिंग करने के लिए बोल दिया है।

इन्द्रा चौहान, प्रभारी बीएसए

नहीं होता था शिक्षा का आकलन

स्कूलों में मिड-डे-मील, यूनीफॉर्म और किताब वितरण आदि सुविधाओं की तो जांच करवाई जाती है। कहने को तो स्कूलों में परीक्षा होती है, लेकिन वास्तव में बच्चे कितना सीख रहे हैं। इसका आकलन करने की व्यवस्था अभी तक नहीं थी।