लाइन और सप्लाई का कारोबार होगा अलग

ऊर्जा मंत्री आरके सिंह यहां एक इंटरव्यू में बताया कि हम विद्युत अधिनियम में कई बदलाव करने जा रहे हैं। इससे उपभोक्ता तक पहुंचने वाली बिजली की लाइन और सप्लाई का कारोबार अलग-अलग हो जाएगा। अगले एक हफ्ते में विधेयक का मसौदा उन्हें मिल जाएगा। हम इसे संसद के आगामी बजट सत्र में पारित करवाने का प्रयास करेंगे। बिजली नेटवर्क और सप्लाई कारोबार अलग होने से उपभोक्ता को अपने क्षेत्र में उपलब्ध कई कंपनियों के बीच में उसी तरह चुनने का अधिकार मिल जाएगा जिस तरह वे एमएनपी के तहत टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनी का चयन करते हैं।

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कई कंपनियां करेंगी बिजली सप्लाई

सरकार की योजना का विवरण देते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा कि अधिनियम में संशोधन होने के बाद हम राज्यों के साथ परामर्श करके बिजली वितरण कंपनियों के

नेटवर्क और सप्लाई कारोबार को अलग करने की योजना तैयार करेंगे। इसके बाद सप्लाई के मामले में एकाधिकार खत्म हो जाएगा क्योंकि हर क्षेत्र में कई कंपनियों को बिजली सप्लाई करने का अधिकार होगा। अधिनियम के संशोधनों में नवीकरणीय बिजली जैसे सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा की खरीद के लिए भी सख्त प्रावधान किये जाएंगे। इसमें यह भी प्रावधान होगा कि टैरिफ पॉलिसी में क्रॉस सब्सिडी 20 फीसदी से कम रखी जाए। इससे किसी एक श्रेणी के उपभोक्ता को सस्ती बिजली देने के लिए दूसरी श्रेणी के उपभोक्ता पर 20 फीसदी से ज्यादा भार नहीं डाला जा सकेगा। इससे अधिकतम और न्यूनतम बिजली दर में 20 फीसदी से ज्यादा अंतर नहीं रहेगा।

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मुनासिब होंगी बिजली दरें

मंत्री के अनुसार इससे औद्योगिक बिजली दरें मुनासिब स्तर पर रहेंगी। इस समय दरें काफी ज्यादा होने से उनकी लागत काफी बढ़ जाती है। किसानों को बिजली इस्तेमाल में कुशलता सुधार के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये सब्सिडी देने की व्यवस्था होगी। बिजली वितरण कंपनियों को मार्च 2019 तक उपभोक्ताओं को अबाध बिजली आपूर्ति देने की जिम्मेदारी होगी।

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