सेवा में कमी तो देना होगा मुआवजा

पैसेंजर बिल ऑफ राइट्स यात्रियों को एयरलाइन की ओर से सेवा में कमी का मुआवजा हासिल करने का मौका भी देगा। उदाहरण के लिए यदि उड़ान में निर्धारित से ज्यादा विलंब होता है या फ्लाइट कैंसिल होती है तो नियमानुसार हर्जाना देने को एयरलाइन बाध्य होगी। इसी प्रकार ये बिल ये सुनिश्चित करेगा कि एयरलाइनें कैंसिलेशन या अतिरिक्त सामान जैसे मदों में यात्रियों से जरूरत से ज्यादा शुल्क न वसूलने पाएं।

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कैंसिलेशन चार्ज की अधिकतम सीमा होगी तय

सरकार का मानना है कि जहां 'उड़ान' स्कीम के बाद सामान्यतया हवाई किरायों में कमी आई है, वहीं कुछ शुल्क अभी भी ज्यादा हैं। इनमें कैंसिलेशन शुल्क प्रमुख है। कई बार तो कैंसिलेशन शुल्क टिकट की कीमत से भी ज्यादा होता है। ऐसे में जबकि उड़ान के तहत हवाई किराया प्रति घंटे 2500 रुपये कर दिया गया है तब कैंसिलेशन शुल्क के रूप में इससे अधिक राशि वसूला जाना अनौचित्यपूर्ण है।

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सुविधा देने के साथ यात्रियों से करना होगा सौम्य व्यवहार

मौजूदा कानून के तहत एयरलाइनों को यात्रियों के साथ उचित बर्ताव करने के लिए बाध्य करने की जिम्मेदारी डीजीसीए की है। लेकिन स्पष्ट संहिता के अभाव में डीजीसीए एयरलाइनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाता है। कुछ समय पहले तक यात्रियों के बर्ताव को लेकर भी लगभग यही स्थिति थी। लेकिन 'नो फ्लाई लिस्ट' जारी होने के बाद उसमें स्पष्टता आई है। जानकारों के अनुसार, राइट टू पैसेंजर बिल आने के बाद एयरलाइनों को भी स्पष्ट रूप से पता हो जाएगा कि उन्हें यात्रियों को क्या-क्या सुविधाएं देना आवश्यक है और कैसा व्यवहार करना है।

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बिल आने से पैसेंजर्स और कर्मचारियों के हित रहेंगे संतुलित

किस तरह के बर्ताव की बिलकुल इजाजत नहीं है और यदि फिर भी ऐसा होता है तो उसके क्या परिणाम होंगे। बिल हवाई अड्डे में प्रवेश से लेकर विमान में प्रवेश और फिर विमान के भीतर यात्रियों के प्रति बर्ताव तक के सभी पहलुओं को समाहित करेगा। बिल विमानन के अलावा गृह, विदेश तथा अन्य मंत्रालयों से संबंधित नियम-कानूनों को भी ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। नो फ्लाई लिस्ट के साथ इस बिल के लागू होने से विमानन क्षेत्र में सही मायनों में संतुलन की स्थिति पैदा होगी।

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