राज्य सरकार को मिलेगा आदेश
केंद्र सरकार उन आरोपों को झेल रहे सांसदों और विधायकों के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिये राज्य सरकारों को जल्द ही लिखेगा. जिसके तहत अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो वे नेता अयोग्य घोषित हो सकते हैं. गौरतलब है कि केंद्र सरकार का यह कदम सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों के शीघ्र निबटारे के लिये SC द्वारा समयसीमा निर्धारित करने की पृष्ठभूमि में उठाया गया है. आपको बता दें कि SC ने अपने एक आदेश में कहा था कि इन दागी नेताओं के मुकदमें का निपटारा 1 साल के अंदर हो जाना चाहिये.

राजनीति को स्वच्छ करना होगा
दागी सांसदों और विधायकों से राजनीति को मुक्त करने के पीएम के निर्देशों की पृष्ठभूमि में भी यह कदम उठाया जा रहा है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि,'नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता यही है कि राजनीति को जल्द से जल्द स्वच्छ किया जाये. जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं उनके मुकदमें जल्द ही पूरे होने चाहिये. यदि वे पाक-साफ हैं तो उन्हें बरी कर दिया जाये और अगर नहीं तो फिर कानून अपना काम करेगा.'

उच्च स्तरीय बैठक का डिसीजन
होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय किया गया है. इस बैठक में प्रसाद और गृह एवं कानून मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी नं हिस्सा लिया. प्रसाद ने कहा कि SC के 10 मार्च के निर्देश के अनुसार जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(1), 8(2) और 8(3) के तहत अयोग्य साबित हो सकने वाले मामलों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आरोप के तय होने के बाद एक साल के भीतर मुकदमा पूरा हो जाना चाहिये. यदि किसी जन प्रतिनिधि के विरूद्ध दो साल या अधिक की सजा सुनायी जाती है, तो वह संसद या राज्य विधान मंडल की सदस्यता से अयोग्य घोषित हो जायेगा.   

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