- यूपीबीए में खेल पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट में जमकर धांधली के लगे आरोप

- जिला और स्टेट लेवल की सब जूनियर, जूनियर और सीनियर के सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से बंटे

LUCKNOW : उत्तर प्रदेश बीबीडी बैडमिंटन अकादमी (यूपीबीएए) में डर्टी गेम की परतें धीरे धीरे खुलती जा रही हैं। यूपीबीए के कर्ताधर्ताओं पर ताजा आरोप फर्जी तरीके से सर्टिफिकेट इशू करने का है। जिन्होंने कभी बैडमिंटन का रैकेट तक नहीं पकड़ा, वह यूपीबीए के पूर्व संयुक्त सचिव निशांत सिन्हा की कृपा से प्रोफेशनल खिलाड़ी बन गए। एक सर्टिफिकेट पाने के लिए खिलाड़ी जहां दिन रात एक कर टूर्नामेंट में अपनी जगह बनाते हैं, वहीं दूसरी तरफ निशांत की कृपा दृष्टि पड़ते ही रातों-रात खिलाड़ी बन जाते थे। निशांत के दबाव में अकादमी छोड़ चुके प्लेयर्स ने आरोप लगाया है कि कि निशांत ने अपने चाहने वालों को स्टेट लेवल के सर्टिफिकेट इशू कर डाले। अब यूपीबीए प्रशासन इसकी भी जांच कराने की तैयारी कर रहा है।

राडार पर सर्टिफिकेट

यूपीबीए का विवाद में एफआईआर होने के बाद बैडमिंटन प्रतियोगिता और इसके सर्टिफिकेट भी जांच के दायरे में आ चुके हैं। आरोप है कि जिला और स्टेट लेवल की प्रतियोगिताओं में निशांत ने अपने पिता के पद का फायदा उठाते हुए जिला और स्टेट लेवल के सर्टिफिकेट अपने चाहने वालों को बांटे हैं। खेल अकादमी से जुड़े लोगों ने बताया कि निशांत अपने पिता से जिद कर ब्लैंक सर्टिफिकेट पर हस्ताक्षर करवा लेता था।

किस काम आते हैं सर्टिफिकेट

- सरकारी नौकरी

- एजुकेशन इंस्टीट्यूट में एमिशन

- ट्रेन के टिकट शुल्क में छूट

वसूली जाती थी मोटी रकम

आरोप है कि सर्टिफिकेट की कीमत के रूप में निशांत कहीं कैश वसूलता तो कहीं लड़कियों पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाता। उसने प्रदेश स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने चाहने वालों को सर्टिफिकेट दिए। इसके अलावा जो सर्टिफिकेट का हकदार होता, उसे महीनों दौड़ाया जाता। खासकर लड़कियों को सर्टिफिकेट लेने के लिए निशांत को कई बार फोन करने पड़ते और उससे मिलने के लिए अकादमी भी आना पड़ता। कई बार अन्य जिलों से भी खिलाडि़यों को सर्टिफिकेट लेने के लिए लखनऊ तक आना पड़ा। निशांत के लिए इन सर्टिफिकेट की कोई कीमत नहीं थी। अनुमान यह है कि निशांत ने प्रदेश में पिछले पांच सालों में दो हजार से अधिक सर्टिफिकेट वितरित कर डाले हैं।

निशांत के पिता यूपीबीए के थे। उनके साइन से ही स्टेट प्रतियोगिताओं के सर्टिफिकेट बांटे जाते थे। ऐसे में निशांत ने अपनी पिता की हुकूमत का फायदा उठाते हुए सर्टिफिकेट के साथ भी खिलवाड़ किया है।

- संयुक्त सचिव

अनिल ध्यानी