- एनईआर को पैसेंजर्स एमिनिटीज के लिए मिले 88.8 करोड़

- 112 परसेंट का हुआ इजाफा, पिछली बार मिले थे 42 करोड़ रुपए

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : व‌र्ल्ड का लांगेस्ट प्लेटफॉर्म पाकर खुशी से झूम रहे एनई रेलवे को रेल बजट 2015 में नई ट्रेन तो नहीं मिली, लेकिन पैसेंजर एमिनिटीज के लिए बजट जरूर दोगुना हो गया है। थर्सडे को रेल मिनिस्टर सुरेश प्रभाकर प्रभु ने पैसेंजर्स एमिनिटीज के लिए एनईआर के खाते में इस बार पिछली बार के मुकाबले 112 परसेंट ज्यादा 88.8 करोड़ रुपए डाले हैं। इससे गोरखपुर जंक्शन पर पैसेंजर्स को सहूलियत मिलने की उम्मीद है। रेल मिनिस्टर ने फंड अलॉकेट तो कर दिया है, लेकिन ये फैसिलिटील पैसेंजर्स को कैसे मिलेंगी, ये बड़ा सवाल है। रेल बजट के अगले दिन आई नेक्स्ट ने एनईआर के सामने फंड को यूटिलाइज करने से जुड़े चैलेंजेस का जायजा लिया। अब एनईआर को ये सोचना होगा कि इन चैलेंजेस से वो निपटेंगे कैसे?

सफाई और सिक्यूरिटी को कैसे करेंगे दुरुस्त?

गोरखपुर जंक्शन पर पीएम मोदी के क्लीन इंडिया कैंपेन का असर नजर आ रहा है, लेकिन सिर्फ प्लेटफॉर्म को साफ रखने से ही स्टेशन नहीं चमचमा सकता। इसके लिए रेलवे को स्टेशन के आस-पास से न सिर्फ एनक्रोचमेंट हटाना होगा। रेलवे स्टेशन पर बाहर की ओर बने शौचालय पर भी ध्यान रखना होगा, जिससे बदबू से निजात मिल सके। रेलवे स्टेशन पर सिक्योरिटी के लिए जीआरपी और आरपीएफ मुस्तैद है, लेकिन फिर भी घटनाएं हो रही हैं। इसके लिए रेलवे को सबसे पहले खाली पोस्ट का भरना होगा, उसके बाद स्टेशन पर लगे सेफ्टी एंड सिक्योरिटी इक्विपमेंट्स को भी प्रॉपर वे में वर्किंग रखना होगा। इसके अलावा सेंक्शन हुए सीसीटीवी कैमरे, लगेज स्कैनर मशीन, व्हीकल स्कैनर, बांड्री वॉल की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पेंडिंग पड़े व‌र्क्स को भी कंप्लीट करना होगा।

स्ट्रे एनिमल्स और चूहों से कैसे बचेंगे?

गोरखपुर जैसे व‌र्ल्ड फेमस स्टेशन पर भी आवारा जानवर बेरोक-टोक प्लेटफॉर्म पर टहला करते हैं। इससे न सिर्फ भगदड़ का खतरा रहता है, बल्कि आवारा जानवर कभी भी पैसेंजर्स को चोट पहुंचा सकते हैं। जंक्शन पर प्लेटफॉर्म के अलावा ट्रेंस तक में चूहे आतंक मचाते हैं। सोते हुए पैसेंजर्स को अक्सर चूहे काट लेते हैं, वहीं लगेज को भी कुतर जाते हैं। इसके लिए रेलवे की तरफ से की गई सारी तरकीबें बेकार साबित हुई हैं। एनई रेलवे को इन आवारा जानवरों से निपटने के इंतजाम करने होंगे।

रिजर्वेशन और इंक्वायरी पर दीजिए ध्यान

रिजर्वेशन कराने आने वाले पैसेंजर्स के लिए पीआरएस पर कोई माकूल इंतजाम नहीं हैं। सिक्योरिटी के नाम पर कुछ सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं, लेकिन इनको भी देखने की जहमत तभी उठाई जाती है, जब कोई घटना हो जाती है। पार्किंग की भी फैसिलिटी इन दिनों मौजूद नहीं है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर पूछताछ के लिए सेंटर बनाया गया है, मगर यहां पर काम के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है। जीएम राजीव मिश्र ने स्टेशन पर इंस्पेक्शन के दौरान पूछताछ पर व्हाइट बोर्ड को और ऊपर किए जाने के साथ ही अनाउंसमेंट करते रहने की बात कही थी, लेकिन यह बातें निर्देश तक ही सीमित रह गई।

ऐसे 'यात्री मित्र' का क्या फायदा

रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर्स को गाइड करने और उनकी प्रॉब्लम को दूर करने के लिए यात्री मित्र बनाया गया है। अगर कोई पैसेंजर ट्रेन की क्वेरी लेकर आता है, तो उसे इंक्वायरी काउंटर, कोई डेड बॉडी डिस्पोजल के लिए आता है तो उसे जीआरपी और कोई अपनी प्रॉब्लम लेकर आता है, तो उसे आरपीएफ का पता दे दिया जाता है। सोर्सेज की मानें तो यात्री मित्र की यह ड्यूटी है कि वह खुद आरपीएफ, जीआरपी और जिसकी भी जरूरत होगी, उसे बुलाकर पैसेंजर्स की प्रॉब्लम को सॉल्व कराएगा, लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं है।

मैं अक्सर यहां अपडाउन करता हूं। व‌र्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म पर जो बेसिक फैसिलिटीज की जरूरत है, वह अभी मौजूद नहीं हैं। रेलवे को बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना होगा। बजट में पैसेंजर्स एमिनिटीज पर ध्यान दिया है, यह काफी अच्छी पहल है।

- अजय जोशी, लखनऊ

गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है। सबसे ज्यादा प्रॉब्लम बैठने और पीने के पानी की है, इसे सही कराने की जरूरत है। इसके अलावा सिक्योरिटी और बाकी चीजों पर बजट में ध्यान दिया गया है, यह काफी अच्छा है। मगर पहले बुनियादी सुविधाएं दें, उसके बाद आगे कदम बढ़ाएं।

- सुनील कुमार गुप्ता, गोरखपुर

साफ-सफाई और सिक्योरिटी सबसे बड़ी रेलवे के लिए प्रॉब्लम है। प्लेटफॉर्म पर सफाई तो होती है, लेकिन बाहर का नजारा देखकर काफी खराब लगता है। इसके अलावा सिक्योरिटी भी अहम है। इसके लिए रेल मिनिस्टर ने ध्यान दिया है तो यह काफी अच्छी बात है।

- भरत शर्मा, रोहतक

रेल मिनिस्टर ने ग‌र्ल्स की सिक्योरिटी के लिए हेल्पलाइन नंबर और सैटेलाइट कैमरे लगाने की बात तो कह दी, लेकिन वह इसकी मॉनीटरिंग किस तरह से करेंगे और कॉल करने के कितनी देर में रिस्पांस मिलेगा, यह भी एक बड़ा अहम सवाल है।

- शिल्पी शुक्ला, दिल्ली