सुधा मेनन की किताब से लिया गया है पत्र

चंदा ने इस पत्र में अपनी बेटी औरती पर फक्र होने की बात कही है। उन्होंने इस पत्र के जरिए अपनी जिंदगी के कई सारे अनुभव भी साझा किए हैं। साथ ही उन्होंने अपने इस पत्र के जरिए बहुत सारे सुझाव भी दिए हैं। चंदा ने खत में कहा है कि माता पिता के बनाए अनुशासन उनके जीवन में बहुत काम आए। माता पिता के उसी अनुशासन की बदौलत वह दिन प्रति दिन सफलता की सीढियां चढ़ती गईं। चंदा ने लिखा है कि प्रिय आरती आज मुझे तुमको आगे बढ़ते देख बहुत गर्व महसूस हो रहा है। तुम्हारी कामयाबी ने मुझे अपने पुराने दिनों की याद दिला दी।

चंदा ने कहा बच्चे मां बाप से ही सीखते हैं

चंदा ने कहा कि तुम में भी वो सारी खूबियां हैं जो मुझे मेरे परिवार से विरासत में मिलीं थीं। मुझे पता है बच्चे मां बाप को देखकर ही सीखते हैं। चंदा ने इस खत में अपने पिता की भी मौत का जिक्र किया है। चंदा ने लिखा है कि कैसे 13 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। जिसके बाद उनके और उनकी मां के सामने बहुत सारी चुनौतियां थी। चंदा कोचर ने कहा कि माता पिता की जिम्म्दारी बच्चों की देखरेख होती है। चंदा कोचर ने आरती से कहा कि जिंदगी में कुछ भी पाने के लिए ईमानदारी से काम करने की जरूरत है। सपनों को कभी खत्म नहीं होने देना चाहिए। उन सपनों को पूरा करने के लिए हमेश प्रयास करते रहना चाहिए।

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