इन दिनों राहुल गांधी बदले हुए नजर आ रहे हैं. और उनके इस अंदाज से खलबली मची हुई है. भले ही उन पर हमले किए जाएं, सवाल उठाए जायें या फिर उन्हे नासमझ कह कर नकारने की कोशिश की जाए पर सच ये है कि विपक्ष से लेकर आरएसएस तक हर कोई उनसे परेशान है और अपने अलग अंदाज में सही पर जवाब देते देते हलकान हो रहा है.

मोदी सरकार का एक साल पूरा होने पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हमलावर तेवर और तीखे हो गए हैं. केंद्र सरकार पर हमला बोलने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मोदी से मुलाकात को लेकर बैकफुट पर आई कांग्रेस को एनएसयूआइ के मंच से गुरुवार को राहुल की सियासी गुगली का सहारा मिला है. मनमोहन-मोदी की मुलाकात पर राहुल ने चुटकी ली कि मौजूदा प्रधानमंत्री को अर्थव्यवस्था पर हमारे पूर्व पीएम से क्लास लेने की जरूरत पड़ गई है. इस मौके पर पीएम मोदी समेत केंद्र सरकार के साथ-साथ संघ को भी कांग्रेस उपाध्यक्ष ने लपेटा. संघ की तुलना नाजियों तक से कर डाली. दोनों को तानाशाह करार देते हुए राहुल गांधी की अमेठी में स्मृति इरानी की सक्रियता को लेकर टीस भी साफ उजागर हुई.

अर्थव्यवस्था समझने के लिए मनमोहन की जरूरत पड़ी

बुधवार को पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआइ के कार्यक्रम में सरकार को कोसने के बाद मोदी-मनमोहन की मुलाकात से बैक फुट पर गई पार्टी को राहुल ने गुरुवार को राह दिखाई है. मुलाकात को लेकर सियासी अंदाज में राहुल ने कहा कि ‘मोदी जी को समझ में नहीं आ रहा कि अर्थव्यवस्था कैसे चलती है? इसलिए अर्थव्यवस्था समझने के लिए मनमोहन सिंह जी को बुलाना पड़ा.’ बकौल कांग्रेस नेता, ‘मनमोहन सिंह जी ने अर्थव्यवस्था पर मोदी जी की एक घंटे की पाठशाला लगाई. बताया कि अर्थव्यवस्था कैसे चलती है.’ हालांकि खुद राहुल को भी इस मुलाकात के बारे में नहीं पता Rahul Gandhi in NSUI National Conventionथा, यह बात भी उनके मुंह से निकल गई. गौरतलब है कि मोदी-मनमोहन की मुलाकात से कांग्रेस में खासी खलबली है.

 

मेक इन इंडिया का नतीजा जीरो

राहुल ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर निशाना साधते कहा कि सरकार एक के बाद एक गलती कर रही है. मेक इन इंडिया से जीरो निकलेगा. सरकार को लगता है कि दो-तीन कंपनियों को ताकत देने से काम हो जाएगा. लेकिन इससे कुछ नही होगा. बदलाव के लिए देश की जनता को ताकत देनी होगी. उन्होंने कहा कि एक साल में किसी को भी रोजगार नही मिला.

 

वन मैन शो है एनडीए

राहुल ने कहा कि हर बात आजकल एक ही व्यक्ति जानता है. शिक्षा की बात हो या कपड़ों की बात. सिर्फ एक व्यक्ति जानता है. उनके अनुसार, ‘कांग्रेस में हम सबकी बात करते हैं और हल निकालते हैं. जो पार्टी कहती है, हम तय करते हैं. हमारे यहां आंतरिक बातचीत होती है. लेकिन वहां (भाजपा) यह सब नहीं है. अब देश को यही सोच चला रही है. हम गरीबों की मदद की बात करते हैं. वह फ्रांस, अमेरिका, नेपाल यहां तक मंगोलिया भी हो आए, लेकिन किसान, मजदूर व गरीब के घर नहीं गए.’

आरएसएस पर भी हमला

राहुल ने कहा, ‘10 साल में मुझे एक बात समझ में आई है. पहले संगठन में मैं अनुशासन के पक्ष में था. सोचता था कि कांग्रेस में ऐसा क्यों नही है. लेकिन अब मैं समझ गया हूं, यह संगठन हर समय सबकी सुनना चाहता है. हम सबकी बात सुनना चाहते हैं.’ आरएसएस की तुलना नाजियों से करते हुए कहा कि उनकी शाखा में लाइन एकदम सीधी लगती है. चूं करने वाले पर लाठी चल जाती है. आरएसएस व भाजपा एक जैसी चलती है. अनुशासन उनके लिए विरोध की आवाजों की हत्या करने का बहाना है. आज यही सोच हिंदुस्तान को चला रही है.

स्मृति पर निशाना

मोदी सरकार की शिक्षा नीति के बहाने राहुल ने अमेठी में उन्हें चुनौती दे रही स्मृति इरानी पर भी निशाना साधा. सरकार की शिक्षा नीति का मखौल उड़ाते हुए राहुल ने सरकार पर शिक्षा बजट में कमी करने का आरोप लगाया. शिक्षा व्यवस्था में आरएसएस की दखल की बात करते हुए राहुल ने कहा कि इसकी वजह से देश के बड़े वैज्ञानिक अब संस्थाओं को अपनी राय नहीं देना चाहते हैं. शिक्षा देश के भविष्य का निमार्ण करती है, इसमें आरएसएस कर दखल स्वीकार्य नही है. राहुल ने एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं से कहा कि सरकार जहां भी आरएसएस की विचारधारा थोपना चाहती है वहां आप इसका विरोध करें.

कल से जवाब देते घूम रहे हैं सब

राहुल के इन हमलों के बाद जहां संघ ने उनके परनाना जवाहरलाल नेहरू से लेकर दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी तक को लपेटा वहीं स्मृति ईरानी ने उनको शिष्टाचार का ज्ञान देते हुए कहा कि मनमोहन ने मिलने का समय मांगा तो मोदी को उनसे मिलना पड़ा. रहुल छुट्टी पर कहां गए इस पुराने राग को भी मोदी की विदेश यात्राओं को हिफाजत के लिए छेड़ा गया. 

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