- पिछले तीन साल में डाउनलोड नहीं की गई एक भी नॉलेजेबल बुक

- केवल दो से तीन परसेंट ने ही की है नॉलेजेबल फाइल अपलोड

- डाउनलोडिंग का 60 परसेंट इस्तेमाल किया जा रहा पोर्न साइट पर

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Meerut- केंद्र सरकार भले ही देशभर के युवाओं को डिजिटल व नॉलेज बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही हो, लेकिन युवा इसी डिजिटलाइजेशन का कितना गलत फायदा उठा रहे हैं। इसका पता सीसीएस यूनिवर्सिटी में वाईफाई यूजर्स के आंकड़ों से ही चल रहा है। भले ही एमएचआरडी ने यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की नॉलेज के लिहाज से फ्री वाईफाई दिया है। लेकिन हकीकत तो यह है कि यहां न तो कोई स्टूडेंट नॉलेज ले रहा है। न ही कोई बुक डाउनलोड की जा रही है। अलबत्ता फिल्में धड़ल्ले के साथ डाउनलोड हो रही हैं। पैरामाउंट कंपनी ने शिकायत भेजकर अवैध रूप से फिल्में डाउनलोड करने पर आपत्ति दर्ज कराई है।

कोई नहीं लेना चाहता नॉलेज

अगर यूनिवर्सिटी में वाईफाई चलाने वाले यूजर्स की बात करें तो यहां आंकड़ें काफी चौकाने वाले हैं। पिछले तीन सालों में यहां पर एक भी बुक डाउनलोड नहीं की गई है। मसलन यहां बुक डाउनलोड करने वाला एक भी यूजर नहीं है। वहीं अगर हम नॉलेज की बात करें तो पिछले तीन सालों में मात्र दो ही प्रतिशत ऐसे यूजर होंगे जो यहां पर किसी विषय के बारे में नॉलेज लेते हैं। इसके अलावा अगर हम नॉलेजेबल वेबसाइट्स की बात करें तो यहां पिछले तीन सालों में मात्र पांच से सात ही प्रतिशत यूजर्स ने इन वेबसाइट को देखा है।

होती हैं गलत बात पर नजर

सीसीएस यूनिवर्सिटी के आंकड़े तो यह भी सच्चाई बयां कर रहे हैं कि यहां पर यूजर्स सबसे ज्यादा अगर देखते हैं तो केवल गंदी चीजें ही देखना पसंद करते हैं। वाईफाई पर पिछले तीन सालों में सबसे अधिक यूजर्स बस गंदी फिल्में व सोंग देखने की बात सामने आई है।

बॉक्स

क्या कहते हैं आंकड़ें

यूजर्स - 10 हजार से अधिक

नॉलेजेबल बुक्स यूजर्स - 0

जरनल नॉलेज - 2 से 3 प्रतिशत

नॉलेजेबल वेबसाइट- 5 से 7 प्रतिशत

गंदी मूवी व सोंग- 60 प्रतिशत

सिम्पल मूवी एंड सोंग- 30 से 33 प्रतिशत

नहीं है सिक्योरिटी सिस्टम

सूत्रों की मानें तो अभी तक यूनिवर्सिटी में फायर होल्स सिक्योरिटी सिस्टम तक भी नहीं है। जानकारी में डाल दें कि फायर होल्स के जरिए सभी को उनकी आईडी व कोड दिया जाता है। इसके साथ ही यूजर्स की लिमिट बांध दी जाती है। इसके जरिए इस तरह की वेबसाइट्स ब्लॉक भी की जा सकती है। जिसे यूनिवर्सिटी में लाने के लिए काफी समय से बात चल रही है। लेकिन अभी तक यूनिवर्सिटी में यह लाया नहीं गया है।

तीन साल में 72 से शिकायतें

सूत्र बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में वाईफाई का गलत यूज करने को लेकर ऐसी काफी शिकायतें आ चुकी हैं। पिछले तीन सालों में ऐसी 72 से भी ज्यादा शिकायतें यूनिवर्सिटी में आ चुकी हैं। इन शिकायतों में इन्हीं बातों का जिक्र किया गया है कि यूनिवर्सिटी के वाईफाई से स्टूडेंट्स गलत चीजें डाउनलोड कर रहे हैं।

बनाई गई है कमेटी

कुछ शिकायतें आई तो हैं, इससे संबंधित एक कमेटी भी बना दी गई है। इन चीजों पर लगाम लगाने के लिए कमेटी काफी कुछ कर रही है।

-संदीप अग्रवाल

टेक्निकल हेड, नेटवर्किंग एडमिनिस्ट्रेशन