सड़क से गाड़ी मुड़़ते ही परीक्षा केंद्रों पर पहुंच जाती है खबर

बोल-बोलकर छोडि़ए, प्रश्नपत्रों पर भी हल कर देते हैं सवाल

फीरोजाबाद । जसराना क्षेत्र में जसराना एटा मार्ग पर कई परीक्षा केंद्र हैं। एक परीक्षा केंद्र की सड़क से दूरी करीब एक किमी दूर है। मोड़़ पर स्थित दुकान पर लोगों का जमघट लगा हुआ है। जैसे ही एक गाड़ी सड़क से गांव के लिए मुड़ती है तो दुकान पर बैठे हुए लोग तत्काल फोन मिला देते हैं। इधर केंद्र पर अफसरों के पहुंचने से पहले ही उड़नदस्ते के आने की खबर पहुंच जाती है, इसके बाद केंद्र पर पूरी तरह से सन्नाटा नजर आता है। अफसरों की रिपोर्ट 'ओके' है, लेकिन चहेतों की खातिर केंद्र पर नकल जारी है।

यह हाल सिर्फ एक परीक्षा केंद्र का नहीं है। देहात के एक परीक्षा केंद्र का रास्ता गांव से होकर गुजरता है। इस गांव में उड़नदस्ता जाता है तो अक्सर परीक्षा के दौरान मार्ग में कहीं पर ट्रेक्टर खड़ा मिलता है तो कहीं पर बैलगाड़ी। ये महज संयोग नहीं हैं। गांव से जुड़े लोगों की माने तो उड़नदस्ते की राह के यह रोड़े नकल के उस खेल का नकाब हैं जो परीक्षा केंद्र पर होता है। ऐसी स्थिति देहात एवं शहर के कई परीक्षा केंद्रों पर बनी हुई है। जो परीक्षा केंद्र सड़क पर ही स्थित हैं, उन्होने भी सड़क पर दोनो तरफ काफी दूरी पर दुकानों पर अपने मुखबिर तैनात कर रखे हैं। यहां से गुजरने वाले हर वाहन की खबर यह परीक्षा केंद्रों पर पहुंचाते हैं।

बाहर ही गेट पर खड़े रहते हैं केंद्र व्यवस्थापक :

देहात में कई परीक्षा केंद्रों पर हाल यह है केंद्र व्यवस्थापक बाहर गेट पर ही खड़े रहते हैं। गाड़ी नजर आते ही इन लोगों के द्वारा इशारा कर दिया जाता है जो कक्षों में मौजूद कक्ष निरीक्षकों के लिए अलर्ट हो जाने का संकेत होता है। जब तक गाड़ी गेट में अंदर घुसती है तब तक कक्षों में स्थिति सामान्य हो जाती है। नकल के बड़े-बड़े ठेकेदारों के इस खेल को तोड़ने में उड़नदस्ते भी असफल साबित हो रहे हैं।

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केंद्र पर्यवेक्षक एवं कक्ष पर्यवेक्षक क्यों हैं चुप :

प्रशासन ने अपनी तरफ से नकल रोकने के लिए पूरा शिकंजा कसा है, लेकिन केंद्र पर भेजे गए पर्यवेक्षकों से नकल माफिया की से¨टग भारी पड़ रही है। शुरुआती परीक्षाओं में सख्ती रही, लेकिन इस दौरान नकल के ठेकेदारों ने केंद्र पर तैनात पर्यवेक्षकों से रिश्तेदारी निकाल ली तो कुछ ने अन्य रास्तों के चलते इन्हें मिला लिया। केंद्र पर हंगामा न होने देने की शर्त पर इन्होने भी चुप्पी साध ली है। अगर ऐसा नहीं होता तो लार्ड ऋषभ इंटर कॉलेज टूंडला में कक्ष में नकल की पर्ची लेकर घूमने की शिक्षक की हिम्मत नहीं होती।