इस बार कम से कम दो हाई प्रोफाइल टीम- कोलकाता नाइट राइडर्स और पुणे वारियर्स इंडिया- की टीम में चीयरलीडर्स डांस तो कर रही हैं लेकिन मिनी स्कर्ट, शरीर से चिपके कपड़े और मेज पर नहीं, बल्कि नृत्यकला का प्रदर्शन करते हुए भारतीय अंदाज में साड़ी पहनकर।

भारत के विभिन्न शहरों के नाम और शहर की हजारों करोड़ रूपए की आईपीएल की अधिकांश टीमों के लिए तंग कपड़े पहने, शरीर के रंग से मिलते कपड़े का चुनाव किया गया था। ट्वेंटी 20 की परिकल्पना करने वाले और तीन बार आईपीएल के प्रमुख रहे ललित मोदी, जिन्हें भाई-भतीजावाद के आरोप में बाहर किया गया था, की तरह अश्लील दिखने वाले उस पोशाक को भी पांचवे आईपीएल से बाहर कर दिया गया।

कोलकाता नाइट राइडर्स, केकेआर के सीईओ वेंकी मैसूर के प्रतिनिधि के रूप में हैनमर एमएसएल कम्युनिकेशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, “यह ललित मोदी के निष्कासन के बाद आईपीएल को अनाकर्षक बनाने की तैयारी है। अब प्राथमिकता क्रिकेट है। हालांकि यह भी सही है कि चीयरलीडर्स का नाम लेकर नैतिक पहरेदारी शुरू हो जाती है, क्योंकि वह सबसे आसान निशाना है.”

फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

इस बार केकेआर की टीम, जिसके मालिक अभिनेता शाहरूख खान और जूही चावला हैं,के चीयरलीडर्स की पोशाक चमकीला जामुनी रंग की है जो स्थानीय ढ़ोलक की थाप पर डांस करती हैं।

कहा जाता है कि इसके पीछे सन 2000 में रिलीज हुई फिल्म फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी का दर्शन है जिसमें केकेआर के दोनों मालिक लीड रोल में हैं और जूही चावला बंगाली बाला के किरदार में हैं। मजेदार बात यह है कि पहली बार केकेआर टीम में चीयरलीडर्स के रूप में सिर्फ बंगाली बालाओं को रखा गया है।

एक पदाधिकारी ने कहा, “ चूँकि शाहरूख खान को अब पश्चिम बंगाल का ब्रांड एंबसेडर नियुक्त कर दिया गया है, इसलिए परपंरागत वेशभूषा और स्थानीय चीयरलीडर्स को रखकर बंगाली लोगों के साथ भावनात्मक रिश्ता भी कायम करने की कोशिश की जा रही है.”

हालांकि सभी लोग केकेआर के इस तर्क से संतुष्ट नहीं हैं। स्टेंडर्ड चार्टेड बैंक में काम करने वाले शिखरेन्दु दत्त को चीयरलीडर्स कहीं से भी बंगाली नहीं लगते।

उनका कहना है, “ वे उस तरह से न तो साड़ी पहनती है जिस तरह से बंगाली महिलाएं पहनती हैं, न वैसा डांस करती हैं जैसे बंगाली महिलाएं डांस करती हैं और न ही वे बंगाली गीत की तरह गाना गाती हैं, सिर्फ टीम का गान बंगाली है। अधिक से अधिक आप यह कह सकते हैं कि वे साड़ी पहनी चीयरलीडर्स हैं.”

नकल है बस

आईपीएल की परिकल्पना में भारत के सभी लोकप्रिय बातों को समाहित करना था- धमाकेदार क्रिकेट, फिल्मी सितारे, संगीत और प्राइम टाइम टेलीविजन तमाशा। खूबसूरत हसीनाओं के कम कपड़े ने बॉलीवुड फिल्म की कमी को पूरी कर दी थी।

बिडबंना यह है कि चीयरलीडर्स का विरोध सबसे पहले एक खिलाड़ी ने ही किया था। पहला आईपीएल खेल रहे पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने उसे बल्लेवाजों के लिए “विघ्न पैदा करनेवाली” कहा था। कम से कम एक अखबार ने खराब दौर से गुजर रहे इस क्रिकेटर को गेंद पर नजर रखने की सलाह तक दे दी थी और कहा था कि उसे चीयरलीडर्स को नहीं देखना चाहिए। बाद में कई अन्य क्रिकेटरों ने भी विभिन्न कारणों से चीयरलीडर्स का विरोध किया था।

महाराष्ट्र में दक्षिणपंथी हिन्दू राजनीतिक पार्टी शिव सेना के प्रमुख बाल ठाकरे ने भी चीयरलीडर्स का यह कहते हुए विरोध किया था कि वे दर्शकों को “बहकाने” के लिए लाई गई हैं।

महाराष्ट्र की दो टीमें मुंबई इंडियंस और पुणे वारिर्यस इंडिया आईपीएल में भाग ले रही है। भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने उसे क्रिकेट के नाम पर “भद्दा मजाक” की संज्ञा दी थी, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने चीयरलीडर्स को “अश्लीलता की परकाष्ठा” कहा था।

ओडिशा में एक छोटे राजनीतिक पार्टी कलिंगा सेना ने धमकी दी थी कि अगर वहां चीयरलीडर्स को आने दिया गया तो आईपीएल के खेल में अवरोध पैदा करेगें। दो “काली चमड़ी” वाली चीयरलीडर्स उस समय काफी चर्चा में रही थी जब उसने कहा था कि रंग के कारण उसके साथ भेदभाव बरता जा रहा है, जबकि एक ने क्रिकेटर के इश्कबाजी की बात ब्लॉग पर लिख दी थी, परिणामस्वरुप दक्षिण अफ्रिका की उस लड़की को काम से हाथ धोना पड़ा था।

मोदी नहीं चाहते थे भारतीय लड़कियां

सन् 2010 में तत्कालीन आईपीएल के प्रमुख ललित मोदी से जब बीबीसी ने भारतीय बालाओं की जगह हॉलीवुड मार्का लड़कियों को लाए जाने की बाबत पूछा था तो मोदी ने इससे इंकार किया था। उन्होंने कहा था कि हिन्दुस्तान में दुनिया की बेहतरीन हसीनाएं मौजूद हैं। मोदी ने कहा था, “आईपीएल में बड़ी संख्या में दर्शक के रूप में भारतीय महिलाएं शामिल हो रही हैं.”

चीयरलीडर्स के रूप में भारतीय महिलाएं ललित मोदी के निकलने के बाद ही आ पाईं। आईपीएल के टीम के रूप में पुणे वारियर्स इंडिया के शामिल होने के बाद परंपरागत भारतीय नृत्यांगना के वेशभूषा में 2011 में चीयरलीडर्स के रूप में उसे शामिल किया गया।

पिछले साल पुणे वारियर्स इंडिया के सलाहकार के रूप में काम कर चुकी तनुश्री शंकर का कहना है, “ मैंने सोचा कि चीयरलीडर्स के पुराने ढ़र्रे से अलग हटने का यह बेहतरीन अवसर है। शास्त्रीय और लोक परंपरा के मिलाकर भारतीयता की छवि बनाई जा सकती है, जिसमें मोहकता और ऐन्द्रियकता का समिश्रण भी हो.” हालांकि कुछ प्रशंसकों को इसमें आकर्षण की कमी दिखती है।

राजस्थान रॉयल के सीईओ रघु अय्यर का कहना है कि चीयरलीडर्स आईपीएल की महत्वपूर्ण अंग बनी रहेंगी। अय्यर कहते हैं, “पार्टनर और प्रायोजक के लिए यह राजस्व कमाने का बहुत ही उपयोगी जरिया है.”

पिछले दो दशक से, जब से भारतीय अर्थव्यवस्था को खोला गया है, भारत में दुनिया के सबसे प्रमुख ब्रांडो का भारतीयकरण कर लिया गया है। पिजा से लेकर संगीत और फैशन टेलीविजन के कार्यक्रम से लेकर ऑटोमॉबाइल इंजीनियरिंग तक, सब में भारतीयता का तड़का लगाकर इसे आत्मसात कर लिया गया है। सभी संकेतों को समझा जाय तो चीयरलीडर्स का भी भारतीयकरण हो ही जाएगा।

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