36 घंटे का निर्जला उपवास
27 अक्टूबर से शुरू हुये लोक आस्था के इस पर्व के दूसरे दिन व्रतियों के सूर्यास्त होने पर खरना के तहत रोटी एवं खीर का भोग लगाया. जिसके बाद 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने बुधवार की शाम डूबते हुये सूर्य एवं गुरुवार की सुगह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर भोजन करके व्रत को तोड़ा. छठ पर्व को लेकर चार दिनों तक पूरा बिहार भक्तिमय रहा. मोहल्लों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे. राजधानी पटना की सभी सड़कों को दुल्हन की तरह सजाया गया.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
छठ को लेकर राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. गंगा के तटों से लेकर जलाशयों के घाटों पर सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम देखे गये. छठ पर्व को लेकर जिला प्रशासन और स्वंयसेवी संगठनों द्वारा राज्य में नदी और तालाबों पर बने घाटों की साफ-सफाई के साथ सड़कों को भव्य रूप से सजाया गया था. पटना में कई पूजा समितियों द्वारा भगवान भास्कर की मूर्ति स्थापित की गई. मुजफ्फरनगर, सासाराम, मुंगेर, खगडि़या, भागलपुर, बेत्तिया, मोतिहारी सहित सभी जिलों के शहरों एवं गांवों में लोग चार दिनों तक छठ पर्व की भक्ति में डूबे रहे. औरंगाबाद के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर परिसर मे लाखों श्रद्धालु छठ पर्व मनाने पहुंचे थे.

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