ALLAHABAD: दिवाली के बाद भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा त्योहार छठ आता है। इस साल चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व 24 अक्टूबर को नहाए खाए के साथ शुरू हो जाएगा। यह त्योहार व्रती महिलाओं द्वारा पुत्र के दीघार्यु की कामना के साथ ही सुख समृद्धि के लिए किया जाएगा। इस बार तीन दशक के बाद छठ पर श्रेष्ठ संयोग बन रहा है। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि छठ पर्व के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को सुबह 7.09 बजे से लेकर रात 7.27 बजे तक कुलाकुल गण दुर्लभ संधिकर योग का मान रहेगा। यही नहीं सुबह 7.09 बजे ही रवियोग भी बन रहा है। जो पर्व के महत्व को अक्षय कारक बनाने का काम करेगा।

 

लौकी-भात शुरू होगा नहाय खाय

कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को छठ पर्व की शुरुआत नहाए खाए से होगी। घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाएगा। इसके बाद व्रती स्नान कर शाकाहारी भोजन यानि कद्दू, अरवा चावल व चने की दाल ग्रहण करेंगे।

 

खीर-रोटी से शुरू होगा 36 घंटे का उपवास

पर्व का दूसरा दिन खरना होता है। परिवार की समृद्धि और कष्टों के निवारण के लिए व्रती दिनभर बिना जल ग्रहण किए उपवास रखेंगे। सूर्यास्त के बाद खरना के रूप में गुड़ की खीर व रोटी का सेवन किया जाएगा। इसी के सेवन के बाद 36 घंटे बिना खाना खाए और पानी पीए छठ व्रत की शुरूआत हो जाएगी।

 

दिन में तैयार होगा प्रसाद, शाम को अ‌र्ध्य

पर्व के तीसरे दिन प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल का लड्डू बनाया जाएगा। चढ़ावे के रूप में लाया गया सांचा और फल भी रखा जाएगा। शाम को बांस की टोकरी में अ‌र्ध्य का सूप सजाकर व्रती व उनके परिजन नदी किनारे डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देंगे।

 

उगते सूर्य को अ‌र्ध्य के साथ समापन

चार दिवसीय छठ पर्व का समापन सप्तमी तिथि 27 को उगते हुए सूर्य को अ‌र्ध्य के साथ होगा। व्रती उसी जगह पर सूर्य को अ‌र्ध्य देंगे जहां डूबते हुए सूर्य को अ‌र्ध्य दिया था।