डेवलपमेंट पर है फोकस

बीजापुर के दो कमरों में सादगी से रहने के निर्णय के पीछे मुख्यमंत्री की मंशा सरकारी नुमाइंदों को एक मैसेज देना है कि, चकाचौंध की जगह विकास को प्राथमिकता दी जाए। बेजा खर्च के बजाए सीएम का फोकस राज्य के विकास को बढ़ावा देने पर होगा। इस मैसेज का असर उïनके मंत्री और कर्मियों पर कितना पड़ेगा ये काबिल-ए-गौर जरूर होगा। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सैटरडे को जब हरीश रावत ने अपने करीबियों से बात की तो उन्होंने सीएम आवास को अपना ठिकाना चुनने की जगह बीजापुर में रहने की इच्छा जताई। सीएम के इस पहल की वहां मौजूद सभी लोगों ने सराहना भी की। हालांकि, ये मुख्यमंत्री का अंतिम निर्णय नहीं है, इसमें फेरबदल भी किये जाने की पूरी संभावना है।

फ्लीट में भी होगी कमी

प्रदेश की जनता अब तक मुख्यमंत्री की फ्लीट में दर्जनों गाडिय़ों का काफिला देखती रही है। सीएम हरीश रावत ने केवल अपने रहने के स्थान में ही नहीं, बल्कि फ्लीट में भी कम से कम गाड़ी रखने का निर्णय लिया है। सूत्रों की मानें तो सीएम की फ्लीट में खुद मुख्यमंत्री की गाड़ी के अलावा दो और वाहन होंगे। वहीं मुख्यमंत्री आवास पर ड्यूटी के नाम पर तैनात पुलिस कर्मियों की फौज में भारी कमी करने का विचार किया गया है। सूत्रों ने बताया सीएम आवास पर कुल चार पुलिसकर्मी ही सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगे। इसके पीछे मुख्यमंत्री की सोच यह है कि उनके पास आने वाले प्रदेश के लोग बिना संकोच के उन तक पहुंच सके।

आप का तो नहीं है असर

फिलहाल मुख्यमंत्री के निर्णय की सराहना की जा रही है, लेकिन सवाल ये भी उठने लगे हैैं कि कहीं ये आम आदमी पार्टी का असर तो नहीं है। गौरतलब है कि, देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने सरकारी सुख-सुविधा में कटौती करते हुए खुद को बेहतर नेता के तौर पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया। इसके पीछे कहीं न कहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लाइफ स्टाइल भी वजह मानी गई। बहरहाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अगर इस राह पर चलते हैैं तो जनता उन्हें अपने करीब जरूर समझेगी। नए सीएम के लिए अभी बीजापुर गेस्ट हाउस का रूम नंबर वन और टू फाइनल किया गया है।

बेहद आलिशान है सीएम आवास

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डा। रमेश पोखरियाल निशंक के समय नए सीएम आवास का निर्माण कराया गया था। पूरे भवन पर उत्तराखंड की पारंपरिक कला संस्कृति की छाप है। निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च हुए और इसके लिए पत्थर भी पड़ोसी राज्य हिमाचल और अन्य प्रदेश से भी मंगाए गए थे। मुख्यमंत्री आवास के निर्माण में कई बातों का विशेष तौर पर ख्याल भी रखा गया जिसमें उत्तराखंड की झलक प्रमुख थी। गौथिक शैली में बनी इस भव्य इमारत के एक एक कोने को बेहद सहेज कर रखा गया है।