RANCHI: एक बार फिर सिस्टम के आगे एक मां हार गई और उसके क्ख् महीने के बच्चे ने गोद में ही दम तोड़ दिया। रिम्स में महज भ्0 रुपए की खातिर बच्चे का सिटी स्कैन नहीं किया गया। उसके परिजन भ्0 रुपए के लिए भटकते रह गए, लेकिन स्टेट के सबसे बड़े हॉस्पिटल में भी किसी ने उनकी मदद नहीं की। इस बीच काफी समय निकल गया और बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि अगर समय पर उसकी जांच हो जाती तो बच्चे को बचाया जा सकता था। बताते चलें कि धुर्वा के मौसीबाड़ी स्थित संतोष लोहरा का घर पिछले हफ्ते बारिश में ढह गया। इसमें उनके बच्चे को भी सिर में चोट लगी थी। इसके बाद से उसे लगातार उल्टी और खून का दस्त हो रहा था। ऐसे में रविवार को डॉक्टर ने बेहतर इलाज के लिए उसे रिम्स ले जाने को कहा था। गौरतलब हो कि शुक्रवार को एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण एक मां की गोद में ही गुमला में उसके बच्चे ने दम तोड़ दिया था। वहीं, शनिवार को रिम्स में ही एक मां अपने मासूम को घंटों गोद में लिए नियोनेटल यूनिट के गेट पर बैठी रही, लेकिन उसे डॉक्टर से मिलने तक नहीं दिया गया।

खून की हो रही थी उल्टी

बच्चे की बुआ सारो ने बताया कि रविवार को सुबह में वे लोग श्याम को लेकर रिम्स पहुंचे। श्याम की उल्टी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और उसे खून की दस्त भी हो रही थी। ऐसे में डॉक्टर ने उसे तत्काल सिटी स्कैन कराने को कहा। इसके बाद वे लोग सिटी स्कैन कराने पहुंचे तो बताया गया कि पर्ची कटानी होगी। और पर्ची कटाने के लिए क्फ्भ्0 रुपए मांगे गए। किसी तरह परिजनों ने क्फ्00 रुपया जुटाकर दिया और भ्0 रुपए बाद में देने की बात कहीं। लेकिन कैश काउंटर के स्टाफ ने साफ मना कर दिया। कहा कि सिटी स्कैन के लिए पूरा पैसा देना होगा, तभी टेस्ट होगा। इसके बाद वे लोग इधर-उधर भ्0 रुपए के लिए भटकते रहे। उसने बताया कि पढ़े लिखे नहीं होने के कारण भी उनके भतीजे की मौत हो गई। अगर पता होता तो रिम्स अधिकारी से इसकी शिकायत करते।

बारिश में ढह गया था घर

मौसीबाड़ी में रहने वाले संतोष लोहरा ने लोगों से कर्ज लेकर मिट्टी का घर बनाया था। ताकि उनके परिवार अच्छे से रह सके। इसके बाद वह रिक्शा चलाकर लोगों के कर्ज चुकाने में लगे थे। लेकिन पैसे नहीं होने के कारण कर्ज भी चुकाना मुश्किल हो रहा था। इस बीच उसका घर बारिश की वजह से ढह गया। इसमें उसके बच्चे समेत अन्य लोगों को भी चोटें लगी थीं।