-जीआरपी ने सितम्बर से 15 नवम्बर तक चाइल्ड लाइन को सौंपे 12 बच्चे

-चाइल्ड लाइन ने चार बच्चों को किया गायब, रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं गायब बच्चों के नाम

BAREILLY :

शहर में संचालित चाइल्ड हेल्प लाइन में बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने जब इसका इंवेस्टीगेशन किया तो तथ्य चौंकाने वाले निकले। जंक्शन जीआरपी ने 1 सितम्बर 2017 से 15 नवम्बर तक कुल 12 बच्चे सौंपे थे, जिसमें से चाइल्ड लाइन ने अपने रजिस्टर में 08 बच्चे ही शो किए हैं। बाकी चार बच्चों का चाइल्ड लाइन के पास कोई रिकार्ड ही मेंटेन नहीं है और न कुछ बताने की स्थिति में हैं। चाइल्ड लाइन से गायब हुए बच्चों में 3 लड़के और एक बच्ची है। आइए आपको बताते हैं जो बच्चे चाइल्ड लाइन से गुम हुए उनके बारे में

केस-1

जंक्शन जीआरपी ने 10 नवम्बर के लिए शामिया 13 वर्ष को चाइल्ड लाइन को सौंपा था। पूछताछ में किशोरी ने नाम शामिया, पिता का नाम नईम खां, निवासी मोहल्ला बुध बाजार हल्द्वानी उत्तराखंड बताया। चाइल्ड लाइन ने इस किशोरी को जीआरपी से लेने के बाद उसका न मेडिकल कराया और न सीडब्ल्यूसी को उसके बारे में कोई सूचना दी। अब शामिया का कोई अता-पता नहीं है कि वह कहां है.

केस-2

जंक्शन जीआरपी ने एक पांच वर्षीय मासूम को चाइल्ड लाइन को सौंपा था। पूछताछ में वह अपना नाम मोहम्मद ही बता पा रहा था। इसके बाद वह कुछ भी नहीं बता पा रहा था। जीआरपी से सौंपे गए मोहम्मद का भी चाइल्ड लाइन के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। और वह यह बात मानने को ही तैयार है कि जीआरपी से उन्हें कोई बच्चा मिला

केस-3

जंक्शन पर एक 10 वर्षीय मासूम अमन लावारिस हालत में रो रहा था। उसके मां-बाप को कोई सुराग नहीं लगने पर किसी पैसेंजर ने उसे थाना जीआरपी पहुंचा दिया। पुलिस ने जब मासूम से पूछताछ की तो उसने अपना नाम अमन बताया। लेकिन वह कहां का रहने वाला है यह कुछ नहीं बता सका। जिसके बाद जीआरपी ने अमन को भी चाइल्ड लाइन को सौंपा था। अमन को भी चाइल्ड लाइन ने गायब कर दिया.

केस-4

तीन वर्ष का एक मासूम जंक्शन पर कोई लावारिस छोड़ गया था। लावारिस बच्चे के बारे में किसी ने जीआरपी को सूचना दी। सूचना मिलते ही जीआरपी ने बच्चे को कस्टडी में लेने के बाद उसे चाइल्ड लाइन के सौंप दिया। चाइल्ड लाइन ने इस मासूम का क्या किया किसे सौंपा उसका भी कोई रिकॉर्ड चाइल्ड लाइन के पास नहीं है। और न वह गुम हुए मासूम के बारे में कुछ बताने की स्थिति में हैं।

जीआरपी ने चाइल्ड लाइन को सौंपे बच्चे

1-रानी- 4 वर्ष

2-दीपांशु- 4 वर्ष

3-प्राची-14 वर्ष

4-मतेवा (मंतशा) -15 वर्ष

5-खुशी- 15 वर्ष

6-शामिया 13 वर्ष

7-सोनी-12 वर्ष

8-बालक-3 वर्ष

9-मोहम्मद-5 वर्ष

10-रवि- 5 वर्ष

11-अमन-10 वर्ष

12-संतोष कुमार 16 वर्ष

क्या है प्रक्रिया

1-पुलिस या कहीं अन्य जगह से लावारिस बच्चा मिलने पर उसे चाइल्ड लाइन को सौंपा दिया जाता है।

2-24 घंटे के अंदर चाइल्ड लाइन बच्चे की जानकारी सीडब्ल्यूसी को सूचना देता है।

3-चाइल्ड लाइन को लावारिस बच्चे का 24 घंटे के अन्दर मेडिकल कराना होता है।

4-सीडब्ल्यूसी बच्चे से बात करने और उसकी उम्र देखकर तय करता है कि बच्चे को कहां रखा जाए।

चाइल्ड लाइन यह करती है खेल

-चाइल्ड लाइन बच्चा मिलने पर उनकी आईडी जेनरेट नहीं कराता है।

-सीडब्ल्यूसी के सामने कई दिनों तक पेश नहीं करना, और न जानकारी देना।

-चाइल्ड लाइन बच्चों का मेडिकल समय से नहीं कराता है, और कराता भी है तो रेप का नहीं प्रग्नेंसी का टेस्ट कराने के बाद पल्ला झाड़ लेता है।

-सुरक्षा और देखरेख में लापरवाही।

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जीआरपी ने 01 सितम्बर माह से 15 नवम्बर तक 08 बच्चे सौंपे थे। जिसमें सभी को उनके परिजनों का पता चलने पर उन्हें उनके मां-बाप के पास भेज दिया है। इसमें एक लड़की अभी भी चाइल्ड लाइन के पास है।

गजेन्द्र गंगवार चाइल्ड लाइन इंचार्ज