नाराज परिजनों ने नही उठाया शव, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल का मामला
ALLAHABAD: सरकार कितना भी कर ले, सरकारी हॉस्पिटल्स की हालत नहीं सुधरने वाली। मरीजों की न तो डॉक्टर सुनते हैं और न ही स्टाफ। रविवार को चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में ऐसे ही एक मामले में मासूम की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उचित इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी। आक्रोशित परिजनों ने शव को वार्ड से नहीं हटाया और विरोध किया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अंत में वे लाश लेकर चले गए। मासूम डायरिया का शिकार बताया गया।
ग्लूकोज बदलने कोई नहीं आया
कोरांव तहसील के पटेहरी गांव निवासी प्रभुनाथ तिवारी का बेटा अवनीश (08) डायरिया से पीडि़त था। शनिवार को उसे दिन में तीन बजे चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों का कहना है कि भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने इंजेक्शन लगाई और कुछ दवा दी। इसके बाद कोई उसकी सुधि लेने नहीं आया। यहां तक कि ग्लूकोज की बोतल खत्म हुई तो उसे बदलने की जरूरत भी नहीं महसूस की गई। इस बीच बच्चे ही हालत बिगड़ती चल गई और अंत में देर रात तीन बजे उसकी मौत हो गई।
ले गए मरीज की बॉडी
आक्रोशित परिजनों ने लाश को वार्ड से ले जाने से इंकार कर दिया। वे बॉडी को बेड पर रखकर विरोध दर्ज कराने लगे। रविवार दोपहर एक बजे तक जब किसी ने ध्यान नहीं दिया तो वे बच्चे का शव लेकर चले गए।
बॉक्स
जानलेवा हो रहा डायरिया
गर्मी के मौसम में डायरिया जानलेवा होता जा रहा है। आए दिन इससे मरीजों की मौत हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि खानपान में साफ सफाई और सावधानी बरतने से डायरिया से बचा जा सकता है। बाजार में बिकने वाले खुले खाद्य पदार्थ और गंदा पानी पीने से डायरिया का शिकार हो सकते हैं। इस बीमारी से खासकर बच्चे और बुजुर्गो को अधिक खतरा है। डायरिया के जानलेवा होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से इलाज के अभी तक विशेष प्रयास नहीं किए गए हैं।
वर्जन
बच्चे के इलाज में लापरवाही की बात गलत है। उसे डायरिया के साथ सेप्टिसीनिया थी। बीपी काफी लो हो गया था। शरीर में इनफेक्शन फैलने से उसकी मौत हो गई।
डॉ। अनुभा श्रीवास्तव, एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल