मेंटल हेल्थ केयर सेंटर की फाइंडिंग में सामने आए अलार्मिग फैक्ट
Case one
मम्फोर्डगंज के रहने वाले 17 साल के विवेक (बदला हुआ नाम) का अपने पड़ोस की लड़की से अफेयर चल रहा था। लड़की ने बातचीत बंद कर दी तो विवेक परेशान हो गया। पैरेंट्स काउंसलर के पास ले गए ता पता चला कि प्यार धोखा खाकर यह किशोर किसी अनहोनी की ओर बढ़ने लगा था।
Case two
15 साल के इमरान (बदला हुआ नाम) का बिहैवियर अचानक चेंज हुआ तो पैरेंट्स परेशान हो गए। काउंसलर के पूछने पर बताया कि इमरान मौका पाते ही हमारा मोबाइल लेकर गायब हो जाता है। कम्प्यूटर पर पोर्न देखते भी पकड़ा गया। इमरान के माता-पिता को बच्चे को अधिक से अधिक समय देने की सलाह दी गई। किशोर की काउंसिलिंग चल रही है।
vineet.tiwari@inext.co.in
ALLAHABAD: दस से 19 साल के बीच के किशोरों के मन में भटकाव आ रहा है। कॉल्विन हॉस्पिटल के मेंटल हेल्थ केयर सेंटर के आंकड़े इसका इशारा करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार उनका मानसिक स्वास्थ्य तमाम चीजों से प्रभावित हो रहा है। हजारों की संख्या में टीनएजर्स का सेंटर में पहुंचना एलार्मिग स्टेज को दर्शा रहा है।
80 फीसदी की करनी पड़ी काउंसिलिंग
मेंटल हेल्थ केयर सेंटर पांच माह पहले खुला है और अब तक यहां चार हजार किशोरों ने दस्तक दी है। 80 फीसदी को काउंसिलिंग की जरूरत पड़ी और बीस फीसदी का इलाज शुरू किया गया है। सबसे अहम यह कि एक विकार से परेशान किशोरों को इससे बचने के लिए दूसरे विकार यानी नशे का सहारा लेना पड़ा।
40
फीसदी मोबाइल, इंटरनेट और पोर्न की लत
30
फीसदी (तंबाकू, सिगरेट और शराब) नशे की लत
25
फीसदी (घरेलू हिंसा) पारिवारिक व सामाजिक समस्याएं
20
फीसदी (अवसाद, घबराहट, भय, उन्माद, विक्षिप्तता, नशे की अधिकता, मानसिक मंदता आदि) अन्य प्रकार के मानसिक विकार
फैक्ट फाइल
400
कुल मरीज पांच माह में मेंटल हेल्थ केयर पहुंचे कुल मरीज
3200
मरीजों की हुई काउंसिलिंग
800
को काउंसिलिंग के साथ इलाज की जरूरत
इन लक्षणों से रहें होशियार
अत्यधिक मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन आदि का उपयोग।
पढ़ाई में मन नहीं लगना।
व्यवहार में विचित्र परिवर्तन।
अत्यधिक गुस्सा व मारपीट।
नशा या शैतानी करना।
गुमसुम, बेचैन रहने के साथ मेमोरी वीकनेस।
भयभीत होना। परिवार व मित्रों से दूर रहना।
सिर में दर्द की शिकायत बने रहना।
बचाव
किशोर की समस्या को गंभीरता से लें।
मारपीट या डांट से हल न निकालें।
परिवार से इनवॉल्व करने की कोशिश करें। हंसी न उड़ाएं।
घर के माहौल को खुशनुमा बनाएं।
दूसरे बच्चों से उसकी तुलना न करें।
किशोरावस्था ऐसी अवस्था है, जिसमें बॉडी में मानसिक और शारीरिक परिवर्तन तेजी से होते हैं। पैरेंट्स और सोसायटी को इस ओर ध्यान देना होगा। उनकी आदतों पर नजर रखकर उनके जीवन को बचाया जा सकता है।
इशन्या राज,
काउंसलर, मेंटल हेल्थ केयर सेंटर
पांच माह में सेंटर में हजारों की संख्या में किशोर आ चुके हैं। पैरेंट्स भी जागरूक हो रहे हैं। उन्हें पता है कि इस एज में कौन सा बदलाव युवाओं के लिए घातक हो सकता है। एलर्टनेस लेवल को अधिक बढ़ाना होगा।
डॉ। राकेश पासवान,
इंचार्ज, मेंटल हेल्थ केयर सेंटर