चीन के स्पोक्स पर्सन ने कहा कि NSG नए मेंबर्स को शामिल करने पर हो रहे डिस्कशन को वो सर्पोट करते हैं और इंडिया को भी बेशक वेलकम करते हैं लेकिन इससे पहले वो ग्रुप के स्टैंडडर्स को अचीव करने के डायरेक्शन में स्टेप्स ले. चीन ने इंडीकेट किया कि इंडिया को एनएसजी में मेंबरशिप हासिल करने से पहले नॉन प्रलिफरेशन ट्रीटी (NTP) को एक्सेप्ट करना होगा.  एनपीटी के अंडर वर्ल्ड वाइड न्यूक्लियर ट्रेड कंट्रोल होता है. इसकी मेंबर बनने के बाद इंडिया भी दूसरे मेंबर कंट्रीज के साथ टेक्नॉलजी और परमाणु मैटीरियल का एक्सचेंज कर सकता हैं.

इंडिया और अमेरिका की बढ़ती बॉन्डिंग पर खीज है ये रिएक्शकन?

एनएसजी वर्ल्ड वाइड न्यूक्लियर ट्रेड कंट्रोल करता है जिस ग्रुप का इंडिया भी मेंबर बन सकता है. फिलहाल 48 कंट्रीज एनएसजी की मेंबर हैं. अब जब ओबामा ने अपने दिल्ली विजिट पर एनएसजी में इंडिया के क्लेम पर पॉजिटिव रिएक्शन संकेत दिए हैं तो ये बात चीन को पसंद नहीं आ रही है. हालाकि चीन खुद पाकिस्तान को दो न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने में हेल्प कर चुका है. अब इंडो अमरिकन बांडिंग के बढ़ने पर चीन एनएसजी में इस्लामाबाद की मेंबरशिप के लिए माहौल बना सकता है. वो इंडिया की दावेदारी के खिलाफ भी जा सकता है. असल में एनएसजी के कई मेंबर्स यह मानते हैं कि परमाणु अप्रसार संधि पर साइन करने जरूरी हैं, जबकि इससे अलग ब्रिटेन और अमेरिका भारत के क्लेम का बिना शर्त सर्पोट कर चुके हैं.

चीन का मानना है कि इस तरह का डिसीजन ग्रुप में जनरल एक्सेप्टेंस के बेस पर लिया जाना चाहिए. चीन न्यूक्लियर टेक्नीक के सबसे बड़े एक्सर्पोटर्स में से एक है और वह एनएसजी की मेंबरशिप पर अपना कंट्रोल बनाना चाहता है. आम सहमति की बात कहकर उसने क्लियर कर दिया है की इंडिया की मेंबरशिप पर उसका रुख खासा इंर्पोटेंट होगा.

वैसे इस बीच चीन ने मंडे को कहा है कि वह इंडिया के साथ रिलेशन स्ट्रांग करने और उसे सर्पोट करने को रेडी है. चीन के प्रेसिडेंट शी चिनफिंग ने प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी को रिपब्लिक डे पर भेजे बेस्ट विशेज के मैसेज में कहा है कि चीन इंडिया के अचीवमेंट्स देख कर खुश है.

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