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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: इस दिवाली लौहनगरी के पटाखा बाजार में चीन के लिए नो इंट्री है। ऐसा शहर के पटाखा कारोबारी द्वारा लोगों की सुरक्षा को देखते हुए किया गया है। यही कारण है कि चीन लौहनगरी के पटाखा बाजार में अपनी पैठ नहीं जमा पा रहा है। शहर में पटाखों के थोक कारोबारी मात्र चार ही हैं, जो कि इस दीपावली भारत में निर्मित पटाखों का ही कारोबार करेंगे। इतना ही नहीं पटाखा कारोबारी बच्चों के लिए पटाखे फोड़ने के लिए बंदूक व अन्य खिलौने में भी भारतीय उत्पाद का ही उपयोग करेंगे। जानकारों की मानें, तो चीनी पटाखों में रासायनिक तत्व के साथ ही साथ अनेक प्रतिबंधित व खतरनाक तत्व पाए जाते हैं। ये पटाखे रखे-रखे ब्लास्ट हो सकते हैं, इसलिए इनसे सीधे-सीधे जान माल के नुकसान का खतरा बना रहता था। यही कारण है कि लौहनगरी का पटाखा बाजार चीनी उत्पादों से दूर है।

बिना बिल आते थे चीनी पटाखे

शहर के पटाखों के थोक कारोबारी बताते हैं कि चीनी पटाखे बिना बिल या कागजात के शहर में आते थे। लोग इसका चोरी-छिपे कारोबार करते थे। ऐसा प्रशासन की सख्ती और दुकानदारों की सजगता के कारण इस पर रोक लगाया गया है, इसलिए कारोबारियों ने इससे तौबा कर लिया है।

तमिलनाडू से आते हैं पटाखे

शहर के पटाखों के तमाम कारोबारी तमिलनाडु के शिवाकाशी से पटाखे मंगाते हैं। यही पटाखे शहर के बाजार में उपलब्ध हैं। कारोबारी बताते हैं पटाखों का कारोबार आज से 10 साल पहले जितना नहीं है। अब लोगों में जागरूकता आई है और लोग पटाखों से परहेज भी करने लगे हैं।

शहर में चार होलसेलर

शहर में पटाखों के चार होलसेलर हैं। इसके अलावा फुटकर दुकानदार रांची से पटाखे मंगा कर शहर में बेचते हैं। आमबगान मैदान, जी टाउन मैदान, बारीडीह मैदान, टेल्को सहित शहर के अन्य इलाकों में फुटकर कारोबारी दुकानें लगाकर पटाखे बेचते हैं