बाजार नहीं है रोक-टोक, सरेआम हो रही बिक्री
कानून को कतर रहा चाइनीज मांझा
-मेरठ में सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेश ताक पर
-प्रशासन मौन, कायदे-कानून का नहीं हो रहा अनुपालन
Meerut: गुजरात के कारोबारियों की दलील को बेशक खारिज करते हुए चाइनीज मांझे पर बंदी के एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने कायम रखा हो, लेकिन मेरठ में चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बिक रहा है। दुकानदारों की भी दलील अजीबो-गरीब है। उनका कहना है कि कानून बनाने से पहले उसे ऊपर लागू किया जाए, गरीब का पेट क्यों काट रहे हैं। चाइनीज मांझा बंद करना है तो फैक्ट्री पर ताला डाल दें।
प्रशासन मौन, कार्यवाही सिफर
मेरठ में पंतगबाजी की सीजन शुरू होते ही चाइनीज और कांच के मांझों की बिक्री एकाएक बढ़ गई है। हालांकि गत वर्ष चाइनीज मांझे पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। मेरठ में पुलिस और प्रशासन के साझा अभियान में खैर नगर और इस्लामाबाद की दुकानों से चाइनीज मांझे को जब्त किया गया था। बेशक सुप्रीम कोर्ट का आदेश कायम है किंतु प्रशासन सुस्त पड़ गया। पुलिस-प्रशासन की सुस्ती का फायदा पतंग के दुकानदार उठा रहे हैं।
दुकानदार बोले
आदेशों और उनके अनुपालन में थोड़ा फर्क है। हालांकि चाइनीज मांझों पर रोक है किंतु बाजार में चोरी-छिपे तो बिक ही रहा है।
-अतुल, दुकानदार
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सरकार को चाहिए कि पहले चाइनीज मांझा बना रही फैक्ट्रियों को बंद करें। मार्केट में मांझा नहीं आएगा तो बिकेगा कहां से?
-नौशाद, दुकानदार
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चाइनीज मांझों पर रोक का आदेश स्वागत योग्य है किंतु विकल्प नहीं है। ऐसे में सरकार को चाइनीज मांझे बना रही फैक्ट्रियों को बंद करना चाहिए।
-रमजान पतंगवाला, दुकानदार
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आमतौर पर कांच के मांझे से चाइनीज मांझा ज्यादा मजबूत होगा है। हालांकि हम लोग सादा मांझा प्रयोग में लाते हैं।
-जरार, पतंगबाज
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अफसर कह रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनजीटी ने भी चाइनीज और कांच के मांझे पर रोक लगा दी है। पिछले दिनों अभियान चलाकर चाइनीज मांझों को प्रतिबंधित किया गया था और दुकानों से मांझों को जब्त किया गया था। जल्द ही बड़ी कार्यवाही शुरू की जाएगी।
-मुकेश चंद्र, एडीएम सिटी
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केस आने बाकी हैं