-सिगरेट पीने की आदत छुड़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया अभियान

-खतरनाक रसायन आर्सेनिक तक होता है सिगरेट में

-इसके साथ ही अन्य कई घातक तत्व देते हैं धूम्रपान करने वाले को जानलेवा बीमारी की सौगात

DEHRADUN: सिगरेट एक जहर है। लेकिन, यंगस्टर्स हैं कि सिगरेट के दीवाने हैं। यूथ को सिगरेट की शरण में जाने से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पब्लिक में अवेयरनेस के लिए ड्राइव चलाए हुए है। इसीलिए इस ड्राइव को नाम दिया गया है तम्बाकू मुक्त युवा। सिगरेट किन-किन तत्वों से मिलकर बनती है और उन तत्वों का क्या नेचर है, इसे जानने के लिए पढि़ए आई नेक्स्ट की इस स्पेशल रिपोर्ट

आर्सेनिक से बनती है सिगरेट

दुनियाभर में जितने भी सेहत के दुश्मन तत्व हैं, उनमें से एक आर्सेनिक भी है। लेकिन, सिगरेट के अंदर यह आर्सेनिक तत्व मौजूद होता है। सिगरेट की लत में पड़ चुके यंगस्टर्स शायद नहीं जानते कि आर्सेनिक एक जहरीला पदार्थ होता है।

और भी हैं खतरनाक तत्व

यही नहीं शौचालय की सफाई के लिए यूज होने वाली अमोनिया गैस तक का यूज सिगरेट बनाने में होता है। सीवर से पैदा होने वाली मीथेन गैस भी इसका एक हिस्सा है। बैटरी में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ कैडमियम भी सिगरेट बनाने में प्रयोग किया जाता है।

अवेयर कर रहे यूथ को

स्वास्थ्य विभाग की ओर से यूथ को सिगरेट के खतरों से अवेयर करने के लिए खास पहल की गयी है। इसके लिए सिगरेट और उसको बनाने में यूज होने वाले तत्वों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। फ्लैक्स, स्टैंडी और पोस्टर्स के रूप में इस सामग्री को सार्वजनिक स्थलों पर लगवाया गया है। इनके ऊपर लिखा गया है कि ब्ब्00 में से भ्0 रसायन कैंसर को जन्म देते हैं। धूम्रपान जीवन का विनाश कर देता है।

सिगरेट के तत्व अन्य प्रयोग आर्सेनिक जहरीला पदार्थ

ब्यूटेन जलाने वाला पदार्थ

ऐसेटिक एसिड एसिड

मिथेन सीवर गैस

कार्बन मोनोक्साइड विषैली गैस

मैथोनॉल रॉकेट ईधन

निकोटीन कीटनाशक

टॉलूइन औद्योगिक यूज

हैक्जमीन लाइटर जलाने में यूज

स्टीइरिक एसिड मोमबत्ती का मोम

कैडमियम बैटरी में यूज

पेंट रंगाई-पुताई में यूज

वर्जन

सिगरेट बहुत ही घातक है। यंगस्टर्स इसकी बुरी तरह से चपेट में हैं। इनको बचाने के लिए ही स्वास्थ्य विभाग ने अभियान चलाया है।

डॉ। यूएस चौहान, डिप्टी सीएमओ

सिगरेट तम्बाकू प्रोडक्ट्स में से एक खतरनाक चीज है। कम आयु के लड़के भी सिगरेट पीने लगे हैं। इसीलिए अवेयरनेस जरूरी है।

डॉ। केके टम्टा, चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल