- छत्तीसगढ़ के सुकमा में हमले की घटना के बाद बनारस में एक्टिव हुई आईबी

- सहयोगियों की मदद से बनारस में नक्सली कमांडरों के शरण लेने का है अंदाज

VARANASI

छत्तीसगढ़ के सुकमा में भीषण नक्सली हमले से होम मिनिस्ट्री, आईबी के साथ ही बनारस पुलिस नींद उड़ गयी है। पड़ोस के तीन जिले मिर्जापुर, चंदौली और सोनभद्र नक्सल प्रभावित हैं। इनका सीधा कनेक्शन बनारस है। माना जा रहा है कि घटना में शामिल कई नक्सली कमांडर बनारस को शरण के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। वैसे ही पहले से नक्सली इलाज कराने से लेकर अपने मूवमेंट को आधुनिक तरीके से विस्तार देने के लिए यहां चोरी-छुपे जमे रहते हैं। अब सुकमा की घटना के बाद आईबी और लोकल पुलिस ने नक्सलियों के काशी कनेक्शन की पड़ताल शुरू की है। आईजी ने नक्सल प्रभावित इलाकों में भी पुलिस और पैरामिलिट्री की मूवमेंट बढ़ाने का निर्देश दिया है।

पुलिस ने बिछाया है जाल

सुकमा हमले के बाद नक्सलियों के नेटवर्क को बनारस में तलाशने में पुलिस जुट गयी है। आधुनिक तरीकों से लेकर परम्परागत मुखबिरों के जरिए संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। किराये पर रहने वाले, सराय, धर्मशाला, होटल, पेइंग गेस्ट हाउस, लॉज आदि में रहने वालों को कुंडली खंगाली जा रही है। हर रोज आने-जाने वालों की डिटेल लेने के मैनेजरों को कहा गया है। नक्सली नेटवर्क की तलाश के लिए पुलिस सर्विलांस का भी सहारा ले रही है। संदिग्ध लोगों की फोन कॉल को टै्रस करते हुए उन्हें टै्रप करने की कोशिश कर रही है। काफी हद तक नक्सल नेटवर्क पर नियंत्रण रखने वाले पुलिस किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है।

साथी कर रहे सहयोग

(डू यू नो)

-बनारस में नक्सली मूवमेंट को इनडायरेक्ट रूप से सपोर्ट करने वाले बहुत से लोग हैं जो नक्सली कमांडरों का शेल्टर देते रहे हैं।

- आईबी को यकीन है कि सुकमा कांड के कई बड़े कमांडर बनारस में शरण लेने आ सकते हैं। उसने ये इनपुट लोकल पुलिस से शेयर किया है।

- इसके बाद से पुलिस अपने खुफिया तंत्र के जरिये नेटवर्क को तलाशने और संदिग्धों को पकड़ने में जुट गयी है।

बनारस खास क्यों?

(फार योर इंफार्मेशन)

बनारस नक्सली मूवमेंट के नक्शे पर भले ही कहीं नजर नहीं आता लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि इस शहर को लम्बे वक्त से नक्सली शरणस्थली के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे हैं जिसकी प्रमुख वजहें ये हैं

- बनारस की सभी जगह से रोड और रेल कनेक्टविटी बहुत अच्छी है।

- यहां हर वक्त बाहरियों की भारी भीड़ उन्हें छुपने में सहायता देती है।

- यहां मेडिकल, आ‌र्म्स और फाइनेंस परपज से सारी चीजें आसानी से मिलती हैं।

- हथियार-कारतूस तथा हवाला का पैसा सोनभद्र के जरिये झारखंड और अन्य नक्सली एरिया में भेजना आसान होता है।

- शहर में तमाम ऐसे लोग हैं जो रुपये-पैसों से नक्सली मूवमेंट का सपोर्ट देते रहते हैं।

-नक्सलियों तक असलहा से लेकर कारतूस तक बनारस में मौजूद नेटवर्क से पहुंचता है।

नक्सली शेल्टर के सबूत

- नक्सलियों के लिए रामपुर कारतूस घोटाला और मिर्जापुर पीएसी कारतूस घोटाला को अंजाम देने वाले इस शहर में मौजूद हैं

- कुछ वर्ष पहले बनारस में चोरी छिपे इलाज करा रहे नक्सलियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

नक्सलियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है। नक्सल प्रभावित जिलों के साथ ही जिन जिलों में इनके गतिविधियों की जानकारी मिलती है, वहां के पुलिस अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

आईजी जोन

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हार्डकोर हुए गिरफ्तार

-पुलिस ने बीते कुछ सालों के दौरान हार्डकोर नक्सली गिरफ्तार किए हैं। जिसकी वजह से सूबे में कोई बड़ी नक्सली वारदात अंजाम नहीं दी जा सकी।

-सोनभद्र के चोपन में स्थानीय पुलिस ने मुठभेड़ के बाद तीन लाख रुपये के इनामी नक्सली नेता मुन्ना विश्वकर्मा और पचास हजार के इनामी अजीत कोल को गिरफ्तार किया था। -एक लाख के इनामी लालव्रत कोल को गिरफ्तार कर नक्सलियों की कमर तोड़ दी थी।

-लालव्रत सुरक्षा बलों के कैंप पर हमले का आरोपी था और कई राज्यों की पुलिस उसे लंबे समय से तलाश रही थी।

-नक्सल प्रभावित चंदौली के नौगढ़ थानाक्षेत्र के हिनौत गांव में विगत जिलेटिन की छड़ों की मदद से ही नक्सलियों ने जंगल में कॉम्बिंग करने जा रही जवानों से भरी पीएसी की ट्रक उड़ा दी थी।

-इस घटना में एक दर्जन से अधिक जवान शहीद हुए थे। ये सूबे में हुई सबसे बड़ी नक्सली वारदात थी।

-तीनों हार्डकोर नक्सली इस वक्त बनारस की सेंट्रल जेल में बंद हैं।