- आए दिन जाम से जूझते हैं शहरवासी, कई योजनाएं हुई सिफर
- निकाय चुनाव में जाम की समस्या भी बन गया गंभीर मुद्दा
Meerut. शहर में जाम एक भीषण समस्या बन चुका है. अब निकाय चुनाव में भी जाम की समस्या ही मुख्य मुद्दा बन गई है. हालत यह है कि नगर निगम अतिक्रमण नहीं हटाता है. जिससे आए दिन शहरवासियों को जाम से जूझना पड़ता है. तो वहीं, यातायात व्यवस्था दुरस्त न होने से जाम एक गंभीर समस्या बन चुका है.
योजनाए बनीं, नतीजा सिफर
शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए कई बार योजना बनाई गई. बीते दिनों नगर निगम ने अतिक्रमण हटाया था. लेकिन कुछ दिनों में ही अभियान ठप हो गया. साथ ही सड़कों पर अतिक्रमण जस का तस हो गया. ट्रैफिक पुलिस या प्रशासनिक अमला भी तब हरकत में आता है जब कोई नेता या फिर आला अधिकारी जाम में फंसता है. यदि कोई मंत्री, अधिकारी दौरे पर आते हैं तब ही लोगों को जाम से राहत मिलती है. उसके बाद फिर से लोगों को जाम से जूझना पड़ता है.
नेता भी कर चुके हैं मांग
जाम से छुटकारे के लिए अनेक बार नेता भी अधिकारियों से मांग कर चुके हैं. करीब दस दिन पहले पूर्व शहर विधायक और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने डीएम व एसपी ट्रैफिक को प्लान तक बनाकर दिया. लेकिन अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी.
जाम की समस्या से तो निजात मिल सकती है. बस ट्रैफिक पुलिसकर्मी नियमों का पालन कराना शुरू कर दें. पुलिसकर्मी चौराहों पर खड़े रहते हैं और जनता जाम से जूझती रहती है.
अंकुर गुप्ता
जाम तो शहर के लिए नासूर बन चुका है. कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देता है. जब अधिकारी जाम में फंसते हैं तो तुरंत पुलिस हरकत में आती है और जाम को खुलवा देती है. न उससे पहले और न ही उसके बाद इनको मतलब रहता है.
मुकेश
जाम के लिए कभी किसी ने प्रयास नहीं किए. अब तो हालात यह हो गए हैं कि गली मोहल्लों तक में जाम शुरू हो गया है. लेकिन अधिकारियों को इससे कोई लेना देना नहीं है.
वकील चंद मित्तल
पब्लिक जब तक जागरूक नहीं होगी तब तक इस जाम से निजात नहीं मिलेगी. नेताओं और अधिकारियों को भी तब पता चलेगा जब वह जाम में फंसे रहेंगे. उनको निकलने ही नहीं दिया जाए. तब जाम में फंसने का अहसास होगा.
शैलेंद्र चौहान