-नया माल नहीं आने से शहर की प्रमुख मंडियां हुई खाली

-अभी तक पुराना माल खपा रहे हैं

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जीएसटी के चक्कर में व्यापारी अभी तक घनचक्कर हैं। टैक्स लागू होने बाद सामानों के रेट का उतार-चढ़ाव समझ नहीं पाने के कारण असमंजस में हैं कि नया माल मंगाए या नहीं। फिलहाल अधिकतर कारोबारियों बाहर से माल मंगाने से इनकार कर दिया है। इसके चलते शहर की प्रमुख मंडियों में माल की आवक ठप है। पुराना माल भी खत्म होने के कगार पर है। इससे एक ओर जहां कपड़ा मार्केट सन्नाटे में है तो वहीं किराना मार्केट से लेकर गल्ला मंडी में भी कारोबारियों की चहल-पहल थम गई है। लोहा मंडी से लेकर बिल्डिंग मैटेरियल्स तक की मंडी में मंदी नजर आ रही है। जिन कारोबारियों का पहले से एडवांस बुकिंग भी था उन्होंने भी माल मंगाने से तौबा कर लिया है।

सात दिनों से सन्नाटा

पूर्वाचल की सबसे बड़ी गल्ला मंडी विशेश्वरगंज में लगभग सन्नाटा पसरा है। सौ ट्रक माल रोजाना खपत वाली यह मंडी पिछले एक सप्ताह से ठप है।

ट्रांसपोर्टर्स के आर्डर नहीं लेने के चलते सब्जी व फल मंडी में बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ा है। आसपास जिलों से तो सब्जी किसी तरह आ जा रही है लेकिन दूर-दराज से आने फल बनारस मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं।

पांच सौ करोड़ का ऑर्डर कैंसिल

बनारसी साड़ी से लेकर सूता तक का व्यापार जीएसटी लागू होने के बाद से बंद है। सूरत व गुजरात से आने वाला माल भी बंद हो चुका है। बनारसी साड़ी के बाजार को जबरदस्त नुकसान हो रहा है। यह नुकसान लगभग पांच सौ करोड़ का है। असम, बंगाल, मुंबई की पांच सौ करोड़ की बुकिंग कैंसिल हो चुकी है। ट्रांसपोर्ट के जरिए एक दिन में लगभग 50 ट्रक बनारसी साड़ी दूसरे राज्यों में भेजी जाती थी।

ढाई करोड़ रोज का नुकसान

मंडियों में माल की आवक ठप होने से ट्रांसपोर्टर्स के पास भी काम नहीं है। साथ ही उन्हें भी जीएसटी की गणित अभी तक समझ नहीं आ रही है कि उन्हें किस तरह और कितना टैक्स देना है। इसकी वजह से अगर उन्हें माल लाने-ले जाने का कोई ऑडर्र मिल भी रहा है तो इनकार कर दे रहे हैं पहले विभिन्न मंडि़यों में एक दिन में पहुंचने वाले पांच सौ ट्रकों के पहिए थम गए हैं। इससे एक दिन में किराये के तौर पर मिलने वाले लगभग ढाई करोड़ रुपयों का नुकसान हो रहा है। ट्रांसपोर्टर समझ नहीं पा रहे हैं कि जीएसटी का कौन भुगतान करेगा? व्यापारी या ट्रांसपोर्टर। अगर ट्रांसपोर्टर का टर्न ओवर 20 लाख से कम है तो वो अपंजीकृत व्यापारियों से जीएसटी लेकर भुगतान कैसे करेगा? उन्हें माल भाड़ा मिलने में लगभग एक महीने से दो महीने लग जाते हैं जबकि रिटर्न हर महीने भरना है।

रेट हुआ हाई

ट्रांसपोर्टर्स भी बुकिंग करने से तौबा नया माल नहीं आने की वजह से शहर के व्यापारी पुराने माल को ही सलटा रहे हैं लेकिन यह भी तब हो सकेगा जब तक स्टॉक उनके पास है। शहर के किराना मंडी में साउथ से आने वाला माल ठप होने के चलते कस्टमर्स को फजीहत उठानी पड़ रही है। दुकानदार दो चार रुपये बढ़ाकर भी दाम वसूल रहे हैं। वहीं दूसरे राज्य से आने वाले फल सेव, संतरा, आम, केला मार्केट से बहुत हद तक गायब दिख रहे हैं। जिन किसी के पास फल है भी तो उसके रेट हाई है।

जीएसटी लागू होने के बाद से कपड़ा कारोबार को काफी नुकसान हुआ है। पिछले दिनों विभिन्न राज्यों में बनारसी साड़ी का पांच सौ करोड़ रुपये का ऑर्डर कैंसिल हुआ। दस दिनों से व्यापार ठप पड़ा है।

राजन बहल, महामंत्री

वाराणसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन

जीएसटी के चलते माल की आवक बिल्कुल ठप हो गई है। रजिस्ट्रेशन के गफलत में बाहर से माल नहीं आ पा रहा है। जिनके पास ओल्ड स्टॉक है वहीं कारोबार कर रहे हैं। बाकि छोटे से बड़े कारोबारी तक हलाकान है।

प्रतीक गुप्ता

अध्यक्ष, वाराणसी नगर युवा व्यापार उद्योग मंडल

जीएसटी के तहत टैक्स स्लैब समझे बिना माल कैसे ढोया जाए? सेल्स टैक्स के ऑफिसर्स भी कंफ्यूजन दूर नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे में बुकिंग नहीं कर रहे हैं। इसी वजह से ट्रांसपोर्ट का धंधा भी लगभग ठप हो चुका है।

जेपी तिवारी, अध्यक्ष

वाराणसी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन

जब से जीएसटी लगा है बाहर से माल आने में परेशानी हो रही है। ट्रांसपोर्टर माल लाने में आनाकानी कर रहे हैं। इसका असर बाजार पर पड़ रहा है। पुराना माल ही निकाल जा रहा है लेकिन वह भी कब तक ऐसे चलेगा?

अशोक कसेरा

किराना कारोबारी

500

ट्रकों की रोजाना आमद थी जीएसटी से पूर्व शहर की मंडियों में

200

ट्रक रोजाना सब्जी व फल मंडी में पहुंचते थे

100

ट्रक माल रोजाना पहुंचता था विशेश्वरगंज मंडी में

100

ट्रक माल रोजाना पहुंचता था कपड़ा मंडी में जीएसटी से पूर्व

100

ट्रक माल रोजाना पहुंचता था लोहा मंडी व बिल्डिंग मैटेरियल की मंडी में