-मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीएचयू वीसी की रिपोर्ट को लिया गंभीरता से

-स्थानीय प्रशासन की रिपोर्ट में भी विवि प्रशासन की बताई गई गलती

जेएनएन

बीएचयू में गत दिनों हुए बवाल में विश्वविद्यालय के वीसी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रारंभिक तौर पर घटना के लिए बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन को दोषी माना है। विवि के कुलपति के साथ प्रॉक्टर को भी प्राथमिक तौर पर दोषी माना जा रहा है।

कई हैं घेरे में

सूत्रों की मानें तो मंत्रालय को विश्वविद्यालय की ओर से सोमवार को जो रिपोर्ट मिली है, वह संतोषजनक नहीं है। इसमें जिन पहलुओं को घटनाक्रम से जोड़ा जा रहा है, अकेले उससे इतनी बड़ी घटना नहीं हो सकती थी। साथ ही परिसर में जो कुछ भी हुआ, इसके लिए विश्वविद्यालय की आंतरिक अनुशासन व्यवस्था को जिम्मेदार माना गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में मंत्रालय जिस निष्कर्ष पर पहुंचा है, उसमें वीसी के साथ प्राक्टर भी घेरे में आ रहे हैं।

वहीं मंत्रालय में दिन भर बीएचयू का मामला ही छाया रहा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह और अफसरों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की।

वीसी ने कहा स्थिति अब सामान्य

बीएचयू कार्यपरिषद की बैठक में पहुंचे वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने परिषद के सामने अपनी सफाई पेश की। बताया कि विश्वविद्यालय के हालात अब सामान्य हैं। इस दौरान उन्होंने सदस्यों को बताया कि घटना के पीछे बाहरी तत्वों का हाथ है। परिषद के तय एजेंडे पर भी चर्चा हुई, लेकिन मौजूदा विवाद के चलते यह बैठक ज्यादा देर तक नहीं चली। बैठक में परिषद के आधे से कम सदस्य ही पहुंचे थे।

मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट

बीएचयू में लाठीचार्ज की घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। राज्य सरकार और बीएचयू प्रशासन से पूरे मामले की रिपोर्ट चार हफ्ते के भीतर सौंपने को कहा है। आयोग ने उप्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और कुलपति को भी नोटिस जारी किया है।

कमिश्नर ने शासन को सौंपी रिपोर्ट

बीएचयू मामले की जांच रिपोर्ट कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने मंगलवार को शासन को सौंप दी। सूत्रों की मानें तो मुख्य सचिव राजीव कुमार को भेजी अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कमिश्नर ने घटना के लिए पुलिस का दोष कम माना है बल्कि बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों का अधिक। रिपोर्ट के मुताबिक आंदोलनरत स्टूडेंट्स पर सुरक्षाकर्मियों की सख्ती से बात बिगड़ गयी। बीएचयू के सुरक्षाकर्मी खाकी वर्दी पहने थे तो उससे उनके पुलिस होने का भ्रम होता रहा। इसके बाद स्टूडेंट उग्र हो गये और आगजनी, तोड़फोड़, पथराव करने लगे। वहीं कमिश्नर ने जांच में पाया कि बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन ने भी पूरे मामले में अपनी भूमिका का सही तरीके से निर्वाह नहीं किया। पूरे मसले को बातचीत से भी हल किया जा सकता था। समय रहते सक्रिय न होने के लिए पुलिस व स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया है। वहीं प्रशासन की मजिस्ट्रेटी जांच मंगलवार को एडीएम मुनींद्र उपाध्याय ने शुरू कर दी है। तीन अक्टूबर तक मजिस्ट्रेटी जांच में बयान दर्ज कराया जा सकता है।