नागरिक उड्डयन मंत्री व्यालार रवि ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि कंपनी को शेयर प्रदान किए जाने के मामले पर अगले सप्ताह होने वाली बैठक में फ़ैसला लिया जाएगा। हालांकि उनका कहना था कि एयर इंडिया को 1,200 करोड़ रुपए के शेयर प्रदान करने के मुद्दे पर आपसी सहमति बन चुकी है।

एयर इंडिया सूत्रों के मुताबिक इस वक़्त एयर इंडिया का कुल घाटा 16,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा हैं और 42,000 करोड़ रुपए का कर्ज़ कंपनी पर चढ़ा हुआ है।

सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में कंपनी की उस मांग की सुनवाई ज़रूर हुई, जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछले पांच सालों में वीआईपी हस्तियों के लिए ख़ास उड़ानों के लिए बकाया राशि भी उसे दी जाए। सरकार ने इस बाबत कंपनी को 532 करोड़ रुपए देने का फ़ैसला किया है। लेकिन विमानन मामलों के जानकार और एयर इंडिया के जन-संपर्क अधिकारी रह चुके जितेन्द्र भार्गव का कहना है कि सरकार का कंपनी को पैसा मुहैया करवाते रहना एयर इंडिया की समस्या से नहीं उबार सकता।

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “पिछले तीन साल से एयर इंडिया का बुरा दौर चल रहा है, इसलिए सरकार को कंपनी को सहायता देना आवश्यक है। लेकिन सहायता किस हद तक देनी चाहिए, इस पर सवाल खड़े हो जाते हैं। अगर सरकार एयर इंडिया को आज वित्तीय मदद दे रही है, तो सवाल ये उठता है कि आख़िर कब तक? इस समस्या से जूझने के लिए एयर इंडिया को अपने प्रबंधन और प्रदर्शन में सुधार करना होगा। अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है, तो उसे बार बार सरकारी मदद की ज़रूरत पड़ेगी, जो कि जायज़ नहीं होगा.”

लगातार कोशिशें

मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़ कर्ज़ और घाटे से उबरने के लिए एयर इंडिया ने सरकार से कम से कम 6,000 करोड़ रुपए के अग्रिम शेयर की मांग की है। इसके अलावा अगले दस सालों में करीब 6,000 करोड़ रुपए की मांग भी सरकार से की गई है।

ग़ौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने एयर इंडिया को 2,000 करोड़ रुपए के शेयर प्रदान किए थे। पिछले कई सालों से एयर इंडिया घाटे में चल रही है और साल की शुरुआत में हुई पायलट हड़ताल ने कंपनी की मुश्किलें बढ़ा दी थीं।

एयर इंडिया प्रबंधन ख़ुद प्रधानमंत्री कार्यालय को बता चुका है कि उसे अपने कर्ज़ो पर ब्याज़ चुकाने में दिक्कत आ रही है। पिछले दो सालों से वो अपने कर्मचारियों को नियमित वेतन नहीं दे पाया है और अब तेल कंपनियों को ईंधन के लिए भुगतान करना भी मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा एयर इंडिया ने तीन साल पहले ड्रीमलाइनर नाम के 27 बोइंग आधुनिक विमान आर्डर किए थे, जिसके बाद कंपनी की आलोचना हुई थी।

जहां कंपनी ने इसे एक अहम निवेश बताया था और कहा था कि नए विमानों से कंपनी की रोज़ी-रोटी आएगी, वहीं जितेंद्र भार्गव का कहना था कि नए विमान खर्चों को कम करने का रास्ता नहीं हो सकते।

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