सिविल लाइंस बस स्टैंड पर खड़ी बसों में बैठी सवारियां भी उतार ले जाते हैं प्राइवेट बसों के कर्मचारी
बस स्टैंड के सामने और हनुमान मंदिर के पास से दो दर्जन से अधिक बसों का हो रहा संचालन
ALLAHABAD: उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के सिविल लाइंस बस स्टैंड से प्रतिदिन सैकड़ो बसें निकलती हैं। कई बार स्थिति ये होती है कि बसों को काफी कम पैसेंजर्स को लेकर ही यहां से रवाना होना पड़ता है। कारण ये कि बस स्टैंड के अगल-बगल दर्जनों की संख्या में प्राइवेट बसें खड़ी रहती हैं और उनके कर्मचारी रोडवेज बस स्टैंड के अंदर से कर्मचारियों को बरगला कर अपनी बसों में ले जाते हैं। जबकि नियम के तहत सरकारी बस स्टैंड से एक किमी की परिधि में प्राइवेट बसों का संचालन बैन है।
बगल में खड़ी होती हैं प्राइवेट बसें
सिविल लाइंस डिपो के ठीक सामने से लेकर हनुमान मंदिर के आसपास से दो दर्जन से अधिक प्राइवेट बसें चलती हैं। इनकी टाइमिंग सुबह सात बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक की है। इलाहाबाद से कुंडा व प्रतापगढ़ और इलाहाबाद से गोपीगंज व वाराणसी रुट पर कुल 24 से 26 प्राइवेट बसें रोज चलती हैं।
चालक, कंडक्टर और खलासी
डिपो के सामने से जितनी भी बसों का परिचालन होता हैं, सभी में एक बस के साथ तीन लोगों की टीम काम करती है। इन्हें चालक, कंडक्टर और खलासी के नाम से जाना जाता है। ये तीनों ही बस खड़ी करने के बाद रोडवेज परिसर तक में घुस जाते हैं और पैसेंजर्स को बरगला कर अपनी बस में ले जाते हैं। सूत्रों की मानें तो बस मालिक की ओर से इन्हें प्रति सवारी पांच से 15 रूपये तक का कमीशन मिलता है, इसलिए ये सवारियां बैठाने पर अधिक जोर देते हैं।
सभी का काम है निर्धारित
प्राइवेट बसों में चालक, कंडक्टर और खलासी तीनों का काम निर्धारित है। चालक का काम सभी जानते हैं और कंडक्टर के जिम्मे यात्रियों से किराया वसूलने का काम होता है। खलासी पर सवारियों को सुरक्षित बस में चढ़ाने और उतारने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन अतिरिक्त कमाई कमीशन के लालच में तीनों सवारियां बैठाने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं।
मंत्री का निर्देश हुआ बेअसर
उप्र में जब भाजपा की सरकार बनी तो परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को दो टूक कहा था कि प्राइवेट बसों की धरपकड़ की जाए। इसके लिए बकायदा अभियान चलाकर छापेमारी की जानी थी, लेकिन सौ दिन के टॉस्क को पूरा करने के नाम पर अप्रैल व मई में सिर्फ दो बार ही अभियान चलाया गया था। इसमें चार प्राइवेट बस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। जून और जुलाई महीने में एक बार भी अधिकारियों द्वारा अभियान नहीं चलाया गया।
मैंने तीन जुलाई को यहां कार्यभार संभाला है। किस तरह से ऐसा हो रहा और कौन-कौन लोग इसमें जुड़े हुए हैं इसे लेकर गोपनीय धरपकड़ का अभियान चलाया जाएगा।
आरएन चौधरी, एआरटीओ, परिवहन विभाग