-पड़ोसी राज्य हिमाचल और दिल्ली से सीखेंगे टेक्निकल गुर

-आयोग और यूपीसीएल की संयुक्त टीम इन राज्यों का करेंगी दौरा

-उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं देने पर रहेगा पूरा फोकस

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DEHRADUN : उत्तराखंड में बिजली क्षेत्र की कार्यप्रणाली आने वाले समय में और अधिक बेहतर होने वाली है। इसके लिए पड़ोसी राज्य हिमाचल और दिल्ली से मदद ली जाएगी, जिसके तहत उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग और यूपीसीएल के अधिकारियों की संयुक्त टीम दिल्ली और हिमाचल प्रदेश का दौरा करेगी। जहां इन राज्यों में वितरण कंपनियों द्वारा अपनाए जा रहे कॉमर्शियल परफॉर्मेस पैरामीटर्स के लक्ष्य पर बेस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन करेगी। इसके बाद टीम इन राज्यों द्वारा अपनाई जा रही कार्यप्रणाली पर अपनी आख्या प्रस्तुत करेगी। इसके आधार पर यूपीसीएल द्वारा विशिष्ट क्षेत्रों व कॉमर्शियल परफार्मेस सुधार में इसका क्रियान्वयन किया जाएगा।

13 प्रतिशत कम करना है लॉस

ऊर्जा मंत्रालय द्वारा यूपीसीएल को वर्ष 2020-21 तक एटीएंडसी (विद्युत की औसत तकनीकी एवं वाणिज्यक) हानि को 13 प्रतिशत तक कम किए जाने का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि यूपीसीएल द्वारा इस लक्ष्य को वर्ष 2019 में दो वर्ष पहले ही प्राप्त किए जाने की योजना बनाई गई है। इस लक्ष्य को प्राप्त किए जाने के लिए यूपीसीएल द्वारा विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। जैसे विद्युत चोरी वाले क्षेत्रों में बेयर कंडक्शन को एबी कंडक्टर द्वारा बदला जाना, खराब मीटरों की पहचान एवं उन्हें बदलने, विजिलेंस विंग द्वारा विद्युत चोरी/टैम्पर्ड मीटर्स के संबंध में किए जाने वाले नियमित छापे संबंधित कदम उठाए जाने का उद्देश्य हैं। यह बात स्वयं प्रबंध निदेशक एसएस यादव पिछले दिनों हुई मीटिंग में आयोग के सामने रख चुके हैं।

प्रोविजन बिलिंग में सुधार

वहीं दूसरी ओर वर्तमान में प्रोविजनल बिलिंग का स्तर मार्च 2016 तक 20 प्रतिशत से 3 प्रतिशत किया जाना है। जिसके लिए आयोग द्वारा यूपीसीएल को निर्देश दिए गए कि लक्ष्य निर्धारित समय में प्राप्त किए जाने के लिए वितरण जोनों के सभी मुख्य अभियंता वितरण को उत्तरदायी बनाया जाए। साथ ही मुख्य अभियंता अपने अधीनस्थ सर्किल, डिविजन व सब डिविजन स्तर तक के कार्मिकों को इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संबंधित कार्मिकों की जवाबदेही सुनिश्चित करें। लापरवाही पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ ही गोपनीय आख्या (एसीआरर) में प्रतिकूल प्रविष्टि दिए जाने के लिए सक्षम स्तर को उत्तरदायी बनाया जाए।

इन सुविधाओं में रहेगी सुधार की कोशिश

-गुणवत्ता (उचित वोल्टेजज) और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति

- क्00 प्रतिशत मीटरिंग

- सही मीटर्स के माध्यम से ऊर्जा की आपूर्ति

-नियमित मीटर रीडिंग और बिल वितरण, तत्काल बिलिंग

-अस्थाई बिलिंग वाले मामलों जैसे मीटर तक पहुंच नहीं, मीटर पढ़ा नहीं गया, त्रुटि पूर्ण मीटर आदि को समाप्त करना

- आईटी की अधिक सुविधा प्रदान करना

'यूपीसीएल और आयोग की संयुक्त टीम बनाई जा रही है। जो दिल्ली और हिमाचल राज्य का दौरा करेंगी। इन राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों की कार्यप्रणाली बिजली हानि समाप्त करने, उपभोक्ताओं के बेहतर सुविधा, अच्छी वितरण सुविधा आदि पर अधिक फोकस रहेगा। इन तकनीकों को फिर उत्तराखंड में बिजली क्षेत्र में बेहतर सुविधा के लिए शामिल किया जाएगा.'

-नीरज सती, सचिव,

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग।