- रेपर्टवा फेस्टिवल में लोरेटा नाटक का मंचन

- कबीर कैफे की बैंड प्रस्तुति

LUCKNOW :

अ2ाबार की हेडिंग से बने कोलॉज जिसके उठते ही नाटक शुरू होता है और जिसके गिरते ही 6यूजिकल परफॉर्मेस अपने आप में अनो2ा नाटक लॉरेटा का मंचन रेपर्टवा थिएटर फेस्टिवल में किया गया। पुंडलीक नाइक के लिए इस नाटक को सुनील शानबाग ने डायरे1ट किया। नाटक की शुरुआत संगीत के साथ 6यूजिकल शो से शुरू होती है। जिसके 2ात्म होते ही पर्दा हटता है और नाटक शुरू होता है। दो घंटे से अधिक समय के इस नाटक में हिंदी, अंग्रेजी और कोंकणी 5ाषा में चलता रहता है। 5ाषा विविध होने के बाद 5ाी कलाकारों के अ5िानय ने दर्शकों को अंत तक कुर्सी से बांधे र2ा। दुनिया में हो रही घटनाओं को, इतिहास से छेड़छाड़ को मोदी से लेकर ट्रंप तक की घटनाओं को संगीत के साथ व्यंग्यात्मक तरीके से पेश किया गया जो इस नाटक की सबसे बड़ी 2यसियत रही। पुंडलीक नाइक के लिखे लॉरेटा की कहानी 1970 के दशक की है। गोवा की एक नदी के द्वीप पर कोंकणी भाषा का समर्थक एंटोनियो एकाकी और शांत जीवन जी रहा है। एक दिन उसका बेटा राफेल अपनी एंग्लो इंडियन गर्लफ्रेंड लॉरेटा के साथ मुंबई से वापस आईलैंड पर लौटता है और लॉरेटा इस आईलैंड की मोह4बत में पड़ जाती है। जैसे जैसे कहानी बढ़ती है नाटक में रोमांच और बढ़ जाता है।

रेपर्टवा फेस्टिवल सीजन आठ में शुक्रवार को कई थिएटर के कई बड़े नाम शामिल हुए जिसमें सुनील शानबाग, दानिश हुसैन समेत कबीर कैफे बैंड के नीरज आर्या ने अपने अनु5ाव सांझा किए। मीट द कास्ट कार्यक्रम में कलाकारों ने अपने अनु5ाव को साझा किया। ले2ाक यतींद्र मिश्रा ने एक के बाद एक उनसे सवाल पूछे जिनका उन्होंने ब2ाूबी जवाब दिया।

6यूजिक में 5ाी पॉलिटि1स है- सुनील

ले2ाक यतींद्र मिश्रा ने थिएटर आर्टिस्ट व ले2ाक सुनील से सवाल किया कि आप के प्ले में पॉलिटि1स का जोड़ नजर आता है ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पॉलिटि1स एक ऐसी चीज है जिससे कोई दूर नहीं रह सकता है। जरुरी नहीं कि इले1शन लड़ने को ही पॉलिटि1स की नजर से दे2ा जाये। संगीत में 5ाी पॉलिटि1स है जैसे शास्त्रीय संगीत पहले नंबर पर आता है उसके बाद फोक आता है। मैं प्ले में हमेशा फार्म ढूंढता हूं। संगीत के साथ प्ले करने का एक अलग आनंद है। स्टोरी इन द सॉन्ग मेरा प्ले को सबने बहुत पंसद किया था।

फोक एसेंट बरकरार र2ाना पड़ता है- नीरज आर्या

कबीर कैफे बैंड के सिंगर नीरज आर्या से यतींद्र मिश्रा ने सवाल किया कि गांव देहात के संगीत को कैसे पिरोया, जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि शुरू में मैंने कबीर को बस किताबों में पढ़ा था क5ाी समझा नहीं था फिर उसके बाद उनको समझा और गिटार के साथ गाया तो लोग पैसे देने लगे तब 2याल आया कि 1यों न हम अपना बैंड बना लें। कबीर को सुनकर लोग सो जाते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंनें कहा कि हम मनोरंजन करते हैं। वेस्टर्न 6यूजिक इंस्ट्रूमेंट के साथ फोक का एसेंट बना के र2ाना बहुत चुनौतीपूर्ण है। वहीं उनके बैंड के वीरेंद्र ने सवाल ऐसा कहा जाता है कि कबीर के गीतों व दोहों पर नचाया नहीं जा सकता ? के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐज अ ड्रामर मेरे लिए यह चुनौती है कई बार लोगों को नचवाना पड़ता है।

वर्चुअल दुनिया में फील नहीं आता- दानिश

थिएटर आर्टिस्ट व किस्सागो दानिश हुसैन से यतींद्र मिश्रा ने सवाल किस फील्ड में रहना पंसद है ? किया जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि हर फील्ड का अलग मजा है। थिएटर का अलग है और दास्तागोई का अलग। वर्चुअल दुनिया में कितने 5ाी आगे निकल जाये, लेकिन जो फील सामने दे2ाकर या सुनकर आता है उसका कोई मुकाबला नहीं है। समाज को जाग्रत करने के लिए प्ले व किस्सागोई होती है इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जगाने का काम मेरा नहीं है कई महान हस्तियां आई जिन्होंने लोगों को समाज का जाग्रत किया मेरा काम लोगों का मनोरंजन करना है।

कहां ढूढे रे बंदे

रेपर्टवा में शुक्रवार को कबीर कैफे बैंड ने अपनी प्रस्तुति से ऐसा समां बांधा कि हर कोई उनके साथ झूमने पर मजबूर हो गया। उन्होंने कबीर के दोहों को संगीतबद्ध करके 3यूजन रॉक में पेश किया। जरा हल्के गाड़ी हाको, मोको कहां ढूंढे रे बंदे पेश किया तो लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। वहीं चंदनिया झीनी रे झीनी व होशियार रहना नगर में चोर आवेगा गीत को पेशकर पूरा माहौल सूफी रंग में सराबोर कर दिया। बैंड में नीरज आर्या, मुकुंद रमास्वामी, रमन, वीरेन आदि ने प्रस्तुति दी।

कॉमेडी का तड़का

रेपर्टवा में स्टैडअप कॉमेडी शो में कॉमेडियन सुमित आनंद ने अपने चुटकीले अंदाज से लोगों को 2ाूब हंसाया। उन्होंने अपने व्यंग्यों से आज के हालात व आम जिंदगी के इंसानों की दिनचर्या को पेशकर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया।