- शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना कागजों में

- शहर में 30 वार्डो में एक साल पहले शुरू हुई थी डोर-टू-डोर योजना

- केवल कागजों में ही दौड़ रहे हैं सफाई कर्मी, घरों से नहीं उठ रहा है

GORAKHPUR: नगर शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक साल पहले धूमधाम से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन योजना शुरू हुई। लेकिन आज यह सिर्फ लूट की योजना बनकर रह गई है। हकीकत यह है कि निगम के ठेकेदार अधिकारियों की लापरवाही का जमकर फायदा उठाते हुए पब्लिक को चूना लगा रहे हैं। सफाई कर्मचारी महीने के शुरू के 15 दिन डेली कूड़ा उठाने आते हैं, लेकिन जैसे ही उनको पैसा मिल जाता है गायब हो जाते हैं। स्थिति यह है कि पैसा लेने के बाद गायब हो रहे कर्मचारियों के कारण पब्लिक के सामने मुसीबत खड़ी हो जा रही है।

नाला बन गया कूड़ादान

कैंट थाना के पीछे वाले एरिया में पिछले 15 दिन से कूड़ा उठाने वालों के न आने के कारण पब्लिक परेशान है। लोग मजबूरी में मोहल्ले के पीछे बह रहे नाले में कूड़ा डालने लगे हैं।

60 रुपए प्रत्येक घर है शुल्क

पहले डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन 10 वार्ड में शुरू हुई। उसके बाद 20 अन्य वार्डो में शुरू की गई। इस योजना में नगर निगम ने यह तय किया था कि जो भी फर्म कार्य करेगी। वह अपना कर्मचारी लगाएगी। जबकि, कूड़ा निस्तारण के लिए गाड़ी व अन्य संसाधन नगर निगम देगा। कूड़ा निस्तारण में लगे कर्मचारियों के वेतन का खर्च 60 रुपए प्रति घर से ि1लया जाएगा।

इन वार्डो में हो रहा है डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन

जटेपुर, कृष्णा नगर, महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर दो, इंजीनिय¨रग कालेज, रुस्तमपुर, बेतियाहाता, अलहदादपुर, गिरधरगंज, मोहद्दीपुर, छोटेकाजीपुर, पुर्दिलपुर, मियां बाजार, अधियारी बाग, रामजानकी नगर, सिविल लाइंस द्वितीय, सिविल लाइंस प्रथम, गोपलापुर, झरना टोला, इस्माइलपुर, राप्ती नगर, दाउदपुर, रायगंज, शाहपुर, घोसीपुरवां, तिवारीपुर, नरसिंहपुर, विकास नगर, महुईसुघरपुर, कल्याणपुर, कृष्णानगर

कॉलिंग

हम लोगों से टैक्स लेकर सरकार नगर निगम के अधिकारियों की जेब भर रही है। लेकिन अधिकारी कहां कार्यो की निगरानी करते हैं पता ही नहीं है। नगर निगम को अपने सफाई की व्यवस्था से हट जाना चाहिए।

रमेश दूबे, रिटायर्ड सर्विसमैन

नगर निगम एक पत्र लिखकर शासन को भेज दें कि हम शहर की सफाई की जिम्मेदारी उठाने में सक्षम नहीं है तो शासन व्यवस्था कर देती। लेकिन डेली का वेतन पाते हैं। शहर की निगरानी ही नहीं कर पाते हैं कि शहर में कहां गंदगी है और कहां पर प्रॉब्लम है।

अनिता तिवारी, हाउसवाइफ

इससे अच्छी व्यवस्था पहले वाली थी कि जिस गली से सफाई कर्मी पैसा पाते थे वहां सफाई तो करते थे। यहां तो पैसा लेने के पहले सफाई करते हैं और उसके बाद पैसा मिलते ही गायब हो जाते हैं।

सुषमा पांडेय, हाउसवाइफ