अफगानिस्तान से श्रीलंका तक

नाथ संप्रदाय की मान्यता है कि साक्षात शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ सतयुग में पेशावर (पाकिस्तान), त्रेतायुग में गोरखपुर, द्वापर में हरमुज (द्वारिका के पास), कलयुग में गोरखमखरी सौराष्ट्र में उत्पन्न होंगे। यही कारण है कि भारत के साथ ही साथ आस-पास के देशों में भी नाथ संप्रदाय के मंदिर से संचालित होने वाले योग साधना केंद्र कार्य करते हैं। तिब्बत, मंगोलिया, थाईलैंड, अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका में गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित योग साधना केंद्र चल रहे हैं।

सात देशों में योग सिखाते हैं सीएम योगी आदित्यनाथ

हठयोग के लिए प्रसिद्ध नाथ संप्रदाय

गोरखनाथ मंदिर के कार्यालय प्रभारी द्वारिका प्रसाद तिवारी का कहना है कि हिन्दू धर्म, दर्शन, अध्यात्म और साधना के अंतर्गत विभिन्न संप्रदायों और मत-मतांतरों में नाथ संप्रदाय का बहुत ही प्रमुख स्थान रहा है। नाथ संप्रदाय के जानकारों का कहना है कि इस संप्रदाय की विशेषता यह है कि यह हठयोग पर आधारित है। यही कारण है कि नाथ संप्रदाय का देश में जहां भी मंदिर है। वहां पर योग साधना को प्रमुख दी जाती है। महाराणा प्रताप पीजी कालेज के प्रिंसिपल डॉ। प्रदीप राव का कहना है कि विश्व को योग की देन भारत है। यहां पर योग देने का कार्य महर्षि पतंजलि ने की, लेकिन उनके द्वारा दी गई योग विद्या सैद्धांतिक थी। इसी सैद्धांतिक योग ज्ञान को नाथ संप्रदाय ने व्यवहार व क्रियाकलापों में उतारने का कार्य किया। नाथ संप्रदाय में हठयोग को प्रमुख इसलिए दी जाती है, क्योंकि हठयोग के जरिए शरीर का शुद्धिकरण किया जाता है।