- दशरथ मांझी अगर दूसरी जाति में होते, तो उन्हें नोबेल पुरस्कार मिल गया होता

- नसीहत देने वालों को सीएम ने दिया करारा जवाब, कहा-नवंबर में जा सकती है कुर्सी

- जो पागल-मूर्ख समझते हैं समझते रहें, मैं जो सोचता हूं वही बोलता हूं

PATNA: बिहार के सीएम जीतन राम मांझी अपने बयानों को लेकर लगातार चर्चा में हैं। उनकी पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी जैसे नेता उनके बयान की आलोचना कर चुके हैं और उनको ऐसे बयान न देने की नसीहत भी दे चुके हैं, पर इस सब की परवाह किए बिना जीतन राम मांझी ने कहा कि मैं किसी के सामने झुकने वाला नहीं हूं। वे कंकड़बाग सामुदायिक भवन में राज्य अनुसूचित जाति जनजाति चिकित्सक एवं मेडिकॉस मिट ख्0क्ब् का उद्घाटन करते हुए ये बोल रहे थे।

जो सोचते हैं, वही बोलते हैं

जीतन राम मांझी ने कहा कि वे जो सोचते हैं वही बोलते हैं। निचले तबके की भाषा में बात करते हैं, ताकि उन तक बात पहुंचे। जो उन्हें पागल, मूर्ख समझते हैं वे समझते रहें। बयान पर सवाल उठाने वालों को कड़ा जवाब तो मांझी ने दिया, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि कभी भी जा सकती है कुर्सी। वे तो गलतफहमी में सीएम बन गए। नवंबर में जा सकती है उनकी कुर्सी।

हमें शिक्षा से दूर रखने की कोशिश

सीएम ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों ने पहले अपने दिल में शिक्षा की चाहत नहीं पैदा की थी, जिस कारण हमलोग काफी पिछड़ गए। धर्म की आड़ लेकर भी हमें शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया गया, पर अब हम शिक्षा से पीछे रहने वाले नहीं हैं। जिस तरह मछली विपरित धारा में चलकर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचती है आप सब भी विपरित धारा में आगे बढ़ने का साहस पैदा करें। व्यवस्था में आप सब को बांट कर रखा गया। अब जरूरत है कि गंगा में जाति को प्रवाहित कर हम सब एक हो जाएं। एक होकर रहेंगे तो हमें भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राजनीतिक शक्ति भी प्राप्त करें, सतर्क रहें, आगे बढ़ें।

मेडिकल एडमिशन में कट ऑफ घटाया

सीएम ने कहा कि एससी एसटी जाति के स्टूडेंट्स के नामांकन के लिए कट ऑफ मा‌र्क्स को ब्0 से घटाकर फ्ख् कर इन वर्गो के बच्चे जिनका नामांकन मेडिकल में नहीं हो रहा था, करवाया है। उन्होंने कहा कि अभिवंचितों को न्याय दिलाने में वे पीछे नहीं रहेंगे। वहीं, उपेक्षा की बात करते हुए सीएम ने कहा कि दशरथ मांझी अगर दूसरी जाति में होते, तो उन्हें नोबेल पुरस्कार मिल गया होता। साढ़े ख्ख् साल में दशरथ मांझी ने पहाड़ काट दिया था।

हेल्थ सेक्रेटरी की जाति तक पूछ डाली

सीएम ने हेल्थ सेक्रेटरी आनंद किशोर से उनकी जाति सब के सामने ही पूछ दी। सीएम का ये पूछना था कि सारे लोग हक्के-बक्के रह गए। इस मौके पर सीएम ने स्मारिका मिरेज का लोकार्पण किया। समारोह को फूड मिनिस्टर श्याम रजक, डॉ राजीव कुमार रजक, एक्स एमएलए डॉ आर आर कनौजिया ने भी संबोधित किया।