- पं। दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का सीएम ने किया अनावरण

- रिसर्च को लोकल दायरे में रहकर करने की दी सलाह

- समारोह में सीएम ने पिछली सरकारों पर किया तंज

GORAKHPUR: श्रम का हर जगह महत्व है। इसके जरिए जो मुकाम हासिल किए जाते हैं, उन्हें आगे चलकर अपमानित नहीं होना पड़ता है। यह यूपी का दुर्भाग्य है कि यहां सहकारिता की हालत ऐसी हो चुकी है कि मानों इसकी भ्रूण हत्या कर दी गई हो। इसे यहां समाप्त कर दिया गया है। यह बातें सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पं। दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा अनावरण के मौके पर ऑगर्नाइज प्रोग्राम में कही।

पैसा चाहिए, क्वालिटी नहीं

कहा कि आज हमारे संस्थान पूरी तरह से सरकारी अनुदान पर निर्भर हैं। कुछ भी करना हो तो सरकारी मदद चाहिए। मगर जब दुनिया की रैंकिक में उनकी खोज की जाती है, तो वह लिस्ट से गायब नजर आते हैं। वह अपने संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने का बिल्कुल प्रयास नहीं करते हैं। इस बात का भी प्रयास नहीं करते हैं कि सरकार उन्हें अनुदान दे रही है, तो वह उस क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों के जीवन स्तर, सामाजिक या भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन स्तर को बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों शिक्षा मित्रों का मामला सामने आया था। इसमें एक तरफ शिक्षा मित्र थे, वहीं दूसरी ओर जब टीचर की भर्ती निकाली गई, जिसमें 15 लाख क्वालिफाइड लोगों की फौज है, जो समाज और देश की दिशा बदलने की ताकत रखती है। लोग नौकरी वेतन के लिए करते हैं, जिम्मेदारी के लिए नहीं। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, पं। दीनदयाल उपाध्याय उसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं।

विदेशों पर रिसर्च की जरूरत नहीं

सीएम ने कहा कि आज स्टूडेंट्स का यह हाल है कि वह गोरखपुर में बैठकर ब्रिटेन की समस्या पर रिसर्च कर रहे हैं। इंग्लैंड में क्या होना चाहिए या कैसे विकसित हुआ, उन्हें इस बात का ख्याल ज्यादा है। ऐसे छात्रों को यह छोड़ देना चाहिए। गोरखपुर में बैठकर विदेश के टॉपिक पर रिसर्च करने का कोई मतलब नहीं है। इससे बेहतर होगा कि यहां की लोकल प्रॉब्लम पर फोकस किया जाए। यहां बाढ़ की स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है? इसका परमनेंट समाधान कैसे किया जा सकता है? यहां के बेरोजगारों को रोजगार मिले, इसके लिए क्या योजनाएं लाई जा सकती हैं। इन चीजों पर हमारा फोकस होना चाहिए।

इतिहास में भी गलती

सीएम ने कहा कि जो अपने इतिहास को लेकर सचेत नहीं होगा, वह भुगोल की रक्षा नहीं कर सकता है। अगर हमें यह करना है, तो इतिहास को अच्छी तरह से जानना होगा। इतिहास में भी गलती हो जाती है। इसको ठीक कराने के लिए आगे आना होगा। अगर गलती हुई है, तो इसके परिमार्जन के लिए हमें तैयार रहना होगा। अभी समाज में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।

100 वर्ष में फैले पं। दीनदयाल के विचार

प्रोग्राम में शामिल हुए सीएम ने कहा कि पं। दीन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा को नामकरण के बाद परिसर में स्थापित होने में 20 वर्ष का समय लगा है। यह एक लंबा अरसा है। मगर उनके विचारों के प्रवाह को शिखर तक पहुंचे में तो 100 वर्ष लग गए हैं। यह हमें प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने जन्मशति वर्ष के कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यपाल के साथ ही स्पेशल गेस्ट का भी वेलकम किया।