लोकसभा स्पीकर की क्लास में विधायकों ने सीखा नियमों का पाठ

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी किया नव निर्वाचित विधायकों को संबोधित

- दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का समापन, विधानसभा अध्यक्ष ने दिया धन्यवाद

LUCKNOW :

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सूबे के नव निर्वाचित विधायकों को नसीहत दी कि वे अपने कामों को जनता और कार्यकर्ताओं से शेयर करें। उनको 'जनप्रतिनिधि' बनना है, ना कि नेता। जनता ने प्रचंड बहुमत देकर जिम्मेदारी बढ़ा दी है, ऐसे में जनाकांक्षाओं पर खरा उतरना बड़ी चुनौती है। सदन चलाने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों को संसदीय परंपराओं, नियमों आदि का सही ज्ञान होना चाहिए। जनाकांक्षाओं को ठीक से समझने का प्रयास करना चाहिए और गलत कार्यो को करने से मना कर देना चाहिए। प्रत्येक जनप्रतिनिधि को मौके पर 'ना' बोलना आना चाहिए क्योंकि असंभव व मुश्किल कार्य कराने की हां करने के बाद झूठा कहलाने जैसे हालात उत्पन्न होते हैं। वे विधानभवन में आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में बोल रहीं थीं।

मिलता रहेगा मार्गदर्शन

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा अध्यक्ष का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने लोक सभा के अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। लोक सभा अध्यक्ष सदन पर प्रभावी नियंत्रण रखते हुए उसका भलीभांति संचालन करती हैं। उनके नेतृत्व में लोक सभा की कार्यवाही में 125 प्रतिशत कार्य का रिकॉर्ड स्थापित हो चुका है। वर्ष 2014 में लोक सभा अध्यक्ष का पद संभालने के बाद से उन्होंने हमेशा नये सदस्यों की चिंता की, ताकि उन्हें संसदीय परंपराओं, नियमों आदि की जानकारी हो सके। वे हमेशा नये सदस्यों को सदन में बोलने का मौका देती हैं, ताकि वे जनता के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी विधान सभा पूरे उत्साह के साथ जनता की सेवा करने के लिए आगे बढ़ रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में लोक सभा अध्यक्ष का मार्गदर्शन उप्र विधान सभा को मिलता रहेगा। कहा कि हमारा यह प्रयास रहेगा कि विधान सभा कम से कम 90 दिन अवश्य चले। अंत में विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना सहित बड़ी संख्या में नवनिर्वाचित विधायक मौजूद थे।

CM योगी एक सन्यासी योद्धा

लोकसभा स्पीकर ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक सन्यासी योद्धा करार दिया। उन्होंने कहा कि संन्यास का अर्थ सब कुछ छोड़ना नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने कर्म से संन्यास नहीं लिया है। प्रदेश को उनके रूप में एक कर्मठ मुख्यमंत्री मिला है, जो राज्य को विकसित कर इसे अग्रणी बनाने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष का समय ज्यादा नहीं होता है। ऐसे में विपक्ष का सहयोग लेते हुए तेजी से काम करना होगा।

विशेषज्ञ कार्यकर्ता तैयार करें

सुमित्रा महाजन ने वरिष्ठ नेताओं से कुछ सीखने की ललक को बनाए रखने की सलाह देते हुए अपने इर्दगिर्द प्रणाम करने वालों की टोली एकत्र न करने की हिदायत दी। नसीहत दी कि जनता से मालाएं पहनने और पैर छुआने में संकोच करें। साथ ही विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ कार्यकर्ताओं की टोली बनाने और जनसमस्याओं से जूझने के साथ गीत, संगीत, सिनेमा व लोककलाओं से जुड़ाव बनाए रखने का आग्रह किया।

सामूहिक जिम्मेदारी की डालें आदत

इससे पहले सुबह के सत्र में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नए जनप्रतिनिधियों को सामूहिक जिम्मेदारी से काम करने की आदत डालने को कहा। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को वीआइपी संस्कृति से दूर रहना चाहिए। इसके लिए गाडि़यों से लालबत्ती हटाने के बाद जनता द्वारा किए गए जोरदार स्वागत का उदाहरण भी दिया। उन्होंने सदन के भीतर और बाहर विधायकों से संयमित व्यवहार करने को कहा। जावडेकर ने मीडिया खासतौर सोशल मीडिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने की बात भी कही।