JAMSHEDPUR: बोकारो की तीन साल की बच्ची का टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में नई तकनीक से कॉकलियर इंप्लांट किया जाएगा। इसपर करीब छह लाख रुपए खर्च होंगे। सारा खर्च सरकार उठाएगी। इसके ऑपरेशन के लिए मुंबई से विशेषज्ञ चिकित्सक भी आएंगे।

गुरुवार को अपने कार्यालय में टीएमएच के जीएम डॉ। राजन चौधरी, ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ। केपी दूबे व डॉ। अजय गुप्ता ने प्रेसवार्ता के दौरान यह जानकारी दी। डॉ। केपी दूबे ने कहा कि अब घबराने की जरूरत नहीं है, आपका बच्चा अगर पांच साल से कम उम्र का है और उसमें सुनने की क्षमता नहीं है तो वह भी सामान्य बच्चों की तरफ बोल-सुन सकता है। इसके लिए कॉकलियर इंप्लांट किया जाता है। इस ऑपरेशन के बाद बच्चों में 100 फीसद तक सुनने व 90 फीसद तक बोलने की क्षमता आ जाती है। इसपर खर्च करीब छह लाख रुपए आता है। यह इंप्लांट महंगा जरूर है लेकिन अगर किसी परिवार की मासिक आमदनी 15 हजार तक है तो उसका सारा खर्च सरकार वहन करेगी। एपिड योजना के तहत बोकारो की बेटी का इलाज भी निश्शुल्क किया जा रहा है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आप मुंबई के अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांगता संस्थान की वेबसाइट पर पंजीयन करा सकते हैं।

टीएमएच में मिलेगा योजना का लाभ

इस योजना का लाभ दिलाने के लिए मुंबई के अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांगता संस्थान ने झारखंड से टीएमएच का चयन किया है। इस योजना के तहत प्रदेश से जितने भी लोग आवेदन करेंगे उनका इलाज टीएमएच में ही होगा।

आज टीएमएच में देशभर से जुटेंगे डॉक्टर

एसोसिएशन ऑफ ओटोले¨रगोलॉजिस्ट हेड एवं नेक सर्जन ऑफ इंडिया बिहार एवं झारखंड शाखा की ओर से टीएमएच प्रेक्षागृह में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें देशभर के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल होंगे। 15 दिसंबर को अलग-अलग सात मरीजों का ऑपरेशन किया जाएगा।

इंप्लांट का किया जाएगा लाइव प्रसारण

इस इंप्लांट का लाइव प्रसारण देशभर में प्रोजेक्टरों के माध्यम एसोसिएशन के डॉक्टरों के लिए किया जाएगा। इसे देखने के लिए गुजरात के चिकित्सकों ने खासतौर पर आग्रह किया है। 16 दिसंबर को शाम में इसका विधिवत उद्घाटन टाटा स्टील के वाइस प्रसिडेंट सुनील भास्करन करेंगे। इसका समापन 17 दिसंबर को को समापन होगा।

क्या है कॉकलियर इंप्लांट

यह वह पद्धति है, जिससे बच्चे की संपूर्ण सुनने की शक्ति कृत्रिम तरीके से बच्चे के मस्तिष्क तक पहुंचाई जाती है। कॉकलियर इंप्लांट एक छोटे से ऑपरेशन द्वारा बच्चे के कान में प्रत्यारोपित किया जाता है, उसके बाद विशेषज्ञ द्वारा उसको संचालित करके सुनने की स्थिति में ढाला जाता है। यह प्रक्रिया ऑपरेशन के दौरान ही शुरू की जाती है। इसके बाद समय-समय पर दो या ढाई साल तक सुनने की मैपिंग करने से बच्चे की सुनने की क्षमता ठीक हो जाती है। इससे बात करने में सक्षम होगा।