-कॉमनवेल्थ गेम्स में ग्रीको रोमन रेसलिंग को नहीं किया शामिल

-लास्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में ग्रीको रोमन में मिले थे इंडिया को 4 गोल्ड समेत 7 मेडल

-इंडिया के रेसलिंग कोच चन्द्रविजय ने कहा ऐसे तो खुद कम हो जाएंगे मेडल

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GORAKHPUR: एक ओर कॉमनवेल्थ गेम्स की धूम है तो दूसरी सीनियर इंडिया रेसलिंग टीम (ग्रीको रोमन) के कोच चन्द्रविजय सिंह उदास है। जहां इंडियन फैंस ख्0क्0 के रिकार्ड मेडल को तोड़ने का सपना संजोए बैठे हैं, वहीं चन्द्रविजय सिंह की आंखों में खामोशी है। यह उदासी या खामोशी टीम की परफॉर्मेस को लेकर नहीं बल्कि कॉमनवेल्थ गेम्स में किए गए फैसले को लेकर है। साउथ अफ्रीका में हुए कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में इंडिया का जलवा बिखेरने वाली रेसलिंग ग्रीको रोमन की टीम मेडल जीतने के बजाए महज दर्शक बन कर रह गई है। कॉमनवेल्थ गेम्स में इस बार रेसलिंग में सिर्फ फ्री स्टाइल कैटेगरी को ही रखा गया है। इससे जहां कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने का सपना अधूरा रह गया तो दूसरी ओर अफसोस इस बात का कि इंडिया के खाते में आने वाले मेडल की संख्या खुद कम हो जाएगी। क्योंकि इंडियन ग्रीको रोमन रेसलिंग टीम ने साउथ अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हुए कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में हर कैटेगरी में गोल्ड मेडल (7 गोल्ड मेडल) जीता था।

रेसलिंग में आते हैं सबसे अधिक मेडल

इंडिया टीम के खाते में आने वाले मेडल में सबसे अधिक झोली रेसलिंग से भरती है। हर वेट कैटेगरी में तीन मेडल होते हैं। इससे उम्मीद भी काफी अधिक रहती है। रेसलिंग में अब तक दो कैटेगरी में कॉम्पटीशन होता था। फ्री स्टाइल और ग्रीको रोमन। दोनों में 8-8 वेट कैटेगरी है। मतलब इंडिया के लिए रेसलिंग में अकेले क्म् गोल्ड मेडल की उम्मीद थी। मगर इस बार स्काटलैंड के ग्लासगो में शुरू हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में सिर्फ फ्री स्टाइल रेसलिंग को ही शामिल किया गया है। मतलब ग्रीको रोमन को बाहर रखा गया है। ऐसे में इंडिया के लिए अब रेसलिंग में 8 गोल्ड की उम्मीद बची है। जबकि चार साल पहले ख्0क्0 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में ग्रीको रोमन रेसलिंग टीम ने चार गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रांज मेडल जीता था। उस समय 7 वेट कैटेगरी में कॉम्पटीशन होता था। इस बार उम्मीद और अधिक थी। क्योंकि पिछले एक साल से ग्रीको रोमन टीम की परफॉर्मेस शानदार रही है। टीम ने इतिहास में पहली बार व‌र्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीता। यह कारनामा संदीप यादव ने कोच चन्द्रविजय सिंह की देखरेख में किया। यह कॉम्पटीशन हंगरी में हुआ था। वहीं साउथ अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हुए कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में हर कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीत कर इंडियन ग्रीको रोमन रेसलिंग टीम चैंपियन बनी। यह कारनामा भी चन्द्रविजय सिंह की कोचिंग में हुआ।

वर्जन-

कॉमनवेल्थ गेम्स में ग्रीको रोमन रेसलिंग को नहीं रखा गया है। टीम लगातार प्रैक्टिस कर रही थी। हर टूर्नामेंट में टीम ने अच्छा परफॉर्म करते हुए मेडल जीते। अगर कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम होती तो देश के झोली में मेडल की संख्या जरूर बढ़ जाती। हालांकि अब टीम एशियन गेम्स की तैयारी में लगी है।

चन्द्रविजय सिंह, कोच सीनियर इंडियन रेसलिंग टीम

देश के लिए मेडल जीतना एक जुनून है। जिसके लिए दिन-रात प्रैक्टिस चल रही है। कॉमनवेल्थ गेम्स में अगर टीम जाती तो कम से कम भ् से म् गोल्ड मेडल पक्के थे। मगर टीम नहीं गई। अब एशियन गेम्स के लिए तैयारी कर रहा हूं।

संदीप यादव, मेडलिस्ट व‌र्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप