भारत को मिला पहला मेडल
गोल्ड कोस्ट (प्रेट्र)। बुधवार को गोल्ड कोस्ट में रंगारंग कार्यक्रम के साथ 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स का आगाज हो गया है। भारत के लिए वेटलिफ्टर पी गुरुराजा ने 56 किग्रा भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीत लिया है। इसी के साथ भारत का पदक तालिका में खाता भी खुल गया। गुरुराजा के लिए यह प्रतियोगिता आसान नहीं रही, क्योंकि वह शुरुआती दो राउंड में फेल हो गए थे। ऐसे में आखिरी और तीसरे राउंड में जब उन्होंने वजन उठाया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गुरुराजा के नाम 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला मेडल जीतने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया।
ट्रक ड्राइवर के बेटे हैं गुरुराजा
कर्नाटक के एक छोटे से गांव कुंडपुर में पैदा हुए 25 साल के गुरुराजा के लिए वेटलिफ्टिंग करना आसान न था। उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता ट्रक ड्राइवर हैं, साथ ही गुरुराजा के आठ भाई-बहन भी हैं। ऐसे में परिवार का पालन-पोषण करने के लिए गुरुराजा ने खेल से इतर नौकरी पर ज्यादा ध्यान लगाया। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो वेटलिफ्टर बनेंगे और कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। इंडियन एयर फोर्स में कार्यरत गुरुराजा ने साल 2010 में वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग लेना शुरु किया था।
हारते-हारते आखिरी जीत ही गए
गुरुराजा पहलवान सुशील कुमार को अपना आदर्श मानते हैं। सुशील को पहलवानी करता देख गुरुराजा ने खेल में रुचि दिखाना शुरु कर दिया। हालांकि सुशील की तरह वह पहलवान तो नहीं बन पाए, मगर वेटलिफ्टिंग में उन्होंने अपना दम जरूर दिखाया। बुधवार को गोल्ड कोस्ट में जब 56 किग्रा भार वर्ग में गुरुराजा ने पदक जीतने के लिए वजन उठाया, तो पहले दो राउंड में उन्हें निराश होना पड़ा। वह बताते हैं कि, पहली दो असफलताओं के बाद उनके कोच ने याद दिलाया कि अगर वे यहां से खाली हाथ लौटते हैं तो काफी कुछ बिगड़ जाएगा। उनकी पूरी फैमिली इसी पर निर्भर है। कोच की यह बात सुन गुरुराजा ने तीसरे और आखिरी राउंड के लिए गए और इस बार उन्हें सफलता मिल गई।
ओलंपिक में पदक जीतना है सपना
21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में गुरुराजा ने 249kg (111+138) वजन उठाकर दूसरा स्थान हासिल किया और भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। गुरुराजा बताते हैं कि, आठ साल पहले जब उन्होंने वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग ली, तो वह समय उनके लिए काफी कठिन था। पहले वह बिल्कुल भी वजन नहीं उठा पाते थे, काफी बार प्रयास किया मगर हर बार उन्हें निराश हाथ लगती थी। एक समय तो ऐसा आया जब वह खीझकर वेटलिफ्टिंग छोड़ने का मन बना चुके थे। मगर कोच और फैमिली के सपोर्ट के बाद गुरुराजा ने ट्रेनिंग जारी रखी और आज उनके नाम कॉमनवेल्थ गेम्स में एक पदक दर्ज हो गया। गुरुराजा का सपना है कि वह ओलंपिक में मेडल जीतें।