अब तक ज्यादातर कंपनियों के बोर्ड में पिता और बेटों का ही दबदबा कायम रहा है. लेकिन पहली बार इस में बदलाव दिखा और भले ही किसी दवाब के चलते ही कई कंपनियों ने बेटी और पत्नियों को ऊंचे पदों पर बैठाया है. बाजार नियामक सेबी ने महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के मकसद से सभी सूचीबद्ध कंपनियों को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला डायरेक्टर को नियुक्त करने के निर्देश दिए थे. इसकी मियाद मंगलवार को पूरी हो गई. एक अप्रैल से यह नियम पूरी तरह लागू हो जाएगा. ज्यादातर नई महिला निदेशक प्रमोटरों या शीर्ष एक्जीक्यूटिव के परिवार की सदस्य हैं. यानी उनकी पत्नी, बेटी या बहन. स्वतंत्र निदेशकों के स्थान पर भी कुछ कंपनियों ने इन्हीं पर भरोसा जताया है.

समयसीमा खत्म होती देख मंगलवार को अडानी और एस्सार ग्रुप समेत 250 कंपनियों ने महिला निदेशकों की नियुक्ति की घोषणा की. इस मामले में सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ कंपनियां फिसड्डी साबित हुईं. देर रात तक ओएनजीसी, पीएनबी और बीपीसीएल की ओर से इस संबंध में कोई एलान नहीं हुआ. कुल मिलाकर एक हजार से ज्यादा कंपनियों में अब भी महिला निदेशक की नियुक्त नहीं हो सकी है. यह और बात है कि इनमें ज्यादातर ऐसी छोटी कंपनियां हैं जिन्हें फिलहाल नियम का अनुपालन करने से छूट दी गई है. नए नियम का पालन करते हुए करीब 200 कंपनियों ने सोमवार को महिला निदेशकों की नियुक्ति का एलान किया था.

 

बीते कुछ दिनों में लिस्टेड कंपनियों की घोषणाओं की समीक्षा करने पर पता चलता है कि स्वतंत्र सदस्य के तौर पर महिला निदेशकों को नियुक्त करने का फैसला करने वाली कंपनियों ने अपने बोर्ड में बैंकरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट को वरीयता दी है. यूबी होल्डिंग्स जैसी कुछ कंपनियों ने महिला निदेशक के तौर पर विदेशी नागरिक को जगह दी है, तो कई ने बोर्ड में वरिष्ठ प्रबंधन कर्मी को पदोन्नत करने का फैसला किया. कुछ कंपनियों ने समयसीमा को पूरा करने में असमर्थता जताई है. इसके पीछे कई तरह के कारण बताए गए हैं. इसमें महिला निदेशक का अचानक कंपनी को छोड़ देना जैसे कारण शामिल हैं. सेबी चेतावनी दे चुका है कि इस नियम का अनुपालन नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने यहां तक कह दिया था कि कई कंपनियां एक महिला निदेशक नियुक्त नहीं कर पा रही हैं, यह वास्तव में शर्मनाक है. इस चेतावनी का ही असर था कि अंतिम समय में कंपनियों में महिला निदेशक को नियुक्त करने की होड़ मच गई.

90 फीसद ने किया नियम का पालन

माना जा रहा है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध करीब 90 फीसद कंपनियों ने कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति के संबंध में सेबी के नियम का अनुपालन कर लिया है. आसीएआइ और आइसीएसआइ ने कहा है कि कंपनियां अपने बोर्ड में महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी को नियुक्त करने के बारे में विचार कर सकती हैं. 40 हजार महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आइसीएआइ) की सदस्य हैं. आसीएआइ और आइसीएसआइ इन प्रोफेशनल सेवाओं की शीर्ष संस्थाएं हैं.

सेबी ने अपने बोर्ड में भी दी महिला सदस्य को जगह

सूचीबद्ध कंपनियों को महिला निदेशक नियुक्त करने का दबाव बना रहे बाजार नियामक सेबी के बोर्ड में भी महिला सदस्य का आगमन हो चुका है. हाल ही में अंजलि सी दुग्गल ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के उम्मीदवार के तौर पर नावेद मसूद की जगह ली. वैसे सेबी के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी लेकिन ऐसा करके उसने एक उदाहरण तो सामने रखा ही है.

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