आगरा। अपनी हाड़तोड़ मेहनत से अन्न उगाने वाला अन्नदाता सरकारी मशीनरी के लिए मजाक बनकर रह गया है। सरकारी इमदाद तो उसे वक्त पर मिलती नहीं है, और अगर दी भी जाती है तो मौत के बाद। यानी जीते जी उसकी कद्र नहीं होती और मौत के बाद उसे हजारों रूपये के चेक काटकर थमाने की कोशिश होती है। और आगरा की तहसीलों में तो एक और नई करतूत ने अन्नदाता का उपहास उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ओलावृष्टि की राहत राशि देने के लिए तहसील के जिम्मेदारों ने चेक बनाकर जारी कर दिए। ये कोशिश भी नहीं की कि जिन किसानों के चेक बनाए हैं, वह अब इस दुनिया में हैं भी या नहीं।

51 मृतक किसानों के बनाए चेक

मामला सदर तहसील से जुड़ा है। ब्लॉक अकोला के करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों को ओलावृत्ति के चेक ही नहीं मिले हैं। इन्हीं गांवों के 51 ऐसे किसानों के चेक जारी कर दिए गए हैं, जो अब इस दुनिया में जिंदा नहीं है। खास बात ये है कि संबंधित लेखपाल इन चेकों को कैश कराने की फिराक में था। हालांकि लेखपाल को सफलता नहीं मिली। मामला संज्ञान में आने के बाद एक बार तो अधिकारियों ने इसे दबाए जाने का प्रयास किया, लेकिन दबा नहीं सके। आखिर में कार्रवाई के नाम पर लेखपाल को निलंबित कर दिया। जबकि आरोप पत्र में इसका उल्लेख नहीं किया है।

आरोप पत्र का नहीं दिया है जवाब

एसडीएम सदर ने आरोपी लेखपाल देवेंद्र उपाध्याय को आरोप पत्र दिया था, जिसका जवाब उसे देना है, लेकिन अभी तक आरोप पत्र का जवाब नहीं दिया है। इधर, लेखपाल देवेंद्र उपाध्याय को बहाल किए जाने के लिए अधिकारियों पर भाजपा नेता दबाव बना रहे हैं।

सूखा और ओलावृष्टि का आया था बजट

वर्ष 2015-16 में ओलावृत्ति और सूखा राहत के लिए 88 करोड़ से अधिक का बजट आया था। इस बजट के वितरण की जानकारी शासन को दी जा चुकी है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

51 मृतक किसानों के बनाए चेक

मामला सदर तहसील से जुड़ा है। ब्लॉक अकोला के करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों को ओलावृत्ति के चेक ही नहीं मिले हैं। इन्हीं गांवों के 51 ऐसे किसानों के चेक जारी कर दिए गए हैं, जो अब इस दुनिया में जिंदा नहीं है। खास बात ये है कि संबंधित लेखपाल इन चेकों को कैश कराने की फिराक में था। हालांकि लेखपाल को सफलता नहीं मिली। मामला संज्ञान में आने के बाद एक बार तो अधिकारियों ने इसे दबाए जाने का प्रयास किया, लेकिन दबा नहीं सके। आखिर में कार्रवाई के नाम पर लेखपाल को निलंबित कर दिया। जबकि आरोप पत्र में इसका उल्लेख नहीं किया है।

आरोप पत्र का नहीं दिया है जवाब

एसडीएम सदर ने आरोपी लेखपाल देवेंद्र उपाध्याय को आरोप पत्र दिया था, जिसका जवाब उसे देना है, लेकिन अभी तक आरोप पत्र का जवाब नहीं दिया है। इधर, लेखपाल देवेंद्र उपाध्याय को बहाल किए जाने के लिए अधिकारियों पर भाजपा नेता दबाव बना रहे हैं।