आयोग सचिव से परीक्षा कैलेंडर में व्यापक सुधार की मांग उठाई

ALLAHABAD: ऐसे समय जब सपा सरकार में आग लगी हुई है। तब प्रतियोगियों ने भी समय की नजाकत को भांप कर युवाओं के हित में मास्टर स्ट्रोक खेला है। प्रतियोगियों ने वर्षो से लंबित चली आ रही अपनी मांगों के लिए उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन और चुनाव के मुहाने पर खड़ी सपा सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रतियोगियों ने यूपीपीएससी के सेक्रेटरी अटल कुमार राय को अपनी विस्तृत मांगों का चिट्ठा सौंपा है। आशा जाहिर की है कि उनकी सभी मांगों को माना जाएगा, जिससे युवाओं को बड़ी राहत मिल सके।

आई नेक्स्ट ने उठाया था मुद्दा

प्रतियोगियों ने आयोग से पीसीएस परीक्षा में सीसैट से प्रभावित अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर देने के लिए आवाज उठाई है। वहीं यूपीपीसीएस की मेंस परीक्षा को सिविल सर्विसेस मेंस एग्जाम की तर्ज पर करवाने की मांग की गई है। आयोग से अपने परीक्षा कैलेंडर में यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वह तय करे कि सभी बड़ी परीक्षाओं का परिणाम कब तक आ जायेगा? यह मुद्दा आई नेक्स्ट भी जोरशोर से उठा चुका है। समाचार पत्र के जरिये बताया गया था कि आयोग का परीक्षा कैलेंडर एसएससी और यूपीएससी के मुकाबले दोयम दर्जे का है। इसके लिए प्रतियोगियों ने राज्यपाल से भी मिलने का मन बनाया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में मुख्य रूप से अवनीश पांडेय, दिनेश तिवारी, समर बहादुर पटेल, प्रशांत पांडेय, गिरिजेश सिंह, सिद्धार्थ मिश्रा, सतीष दुबे, नवीन तिवारी आदि मौजूद रहे।

आयोग के सामने इन मांगों को रखा

सीसैट से प्रभावित छात्रों को दो अतिरिक्त अवसर के लिए शासन को संस्तुति भेजें।

पीसीएस मेंस का आयोजन सिविल सर्विसेस मेंस एग्जाम की तर्ज पर किया जाये।

बड़ी परीक्षाओं के अंतिम परिणाम आने का समय सुनिश्चित किया जाये।

परीक्षार्थियों का सेंटर बाहर आवंटित न किया जाये।

मेंस एग्जाम में आप्शनल बेस क्वेशचन पेपर की आंसर की जारी की जाये।

अन्य लोग सेवा आयोगों की परीक्षाओं को ध्यान में रखकर परीक्षा कैलेंडर सुनिश्चित किया जाये।

1998 से पूर्व जिस प्रकार अंतिम परिणाम के साथ प्रतीक्षारत अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती थी। उसे बहाल किया जाये।

केवल इंटरव्यू के बेस पर डायरेक्ट रिक्रूटमेंट पर रोक लगाई जाये।

तीन वर्षो से मूल्यांकन एवं प्रश्न बनाने वाली विशेषज्ञों की समिति को भंग किया जाये।

परीक्षा के प्रत्येक स्तर की वीडियोग्राफी करवाई जाये।

इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थियों के बोर्ड आवंटन की चार वर्ष पूर्व की प्रक्रिया को लागू किया जाये।

सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट में लंबित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करवाया जाये।