- पीआईएच के कांप्लीकेशन में वीमेन में कैल्सियम और डिफिसिएंसी के कारण प्री मेनोपोज खतरनाक

-एनीमिक होने के खतरा और कांप्लीकेटेड हो जाता है, हर साल आ रहे हैं 75 लाख केसेज

- रूटीन खराब तो कैसे बनेगी बात, 60 परसेंट तक शहरी वीमेन एनीमिक

PATNA : वीमेन में अगर हॉट फ्लशेज, इरेग्यूलर पीरिएड, उदासी, यूरिन लीकेज, मूड स्वींग और स्लीप डिसऑर्डर आदि की स्थिति है तो यह पेरीमेनोपॉज की स्थिति है। यानि मेनोपॉज से पहले की स्थिति। ये सभी लक्षण ब्0 साल के बाद विजिबल हो सकते हैं। इसे आम तौर पर 90 परसेंट तक वीमेन कंट्रोल नहीं कर पाती हैं। ये बातें बॉग्सकॉन ख्0क्ब् के सम्मेलन में कोलकाता से आयी डॉ एसआर पाल ने अपने प्रेजेंटेशन के दौरान कही। उन्होंने बताया कि ये सभी विजिबल लक्षण हैं लेकिन इसके साथ ही कुछ ऐसे लक्षण भी हैं, जो विजिबल नहीं हैं, जैसे बोन वीकनेस व अन्य लक्षण। रेग्यूलर एक्सरसाइज भी इसके चांसेज कर कर सकता है।

आखिर ऐसी स्थिति क्यों

आई नेक्स्ट से बात करती हुई डॉ पूनम दीक्षित ने बताया कि आम तौर पर वीमेन में एनीमिया के कई केसेज आते हैं। अर्बन एरिया में भी म्0 परसेंट वीमेन एनीमिक हैं। दूसरा महत्वपूर्ण कारण है इनमें कैल्सियम और विटामिन डी की कमी। इसलिए फ्0 साल से ऊपर एज की वीमेन को स्क्रीनिंग जरूर कराना चाहिए। साथ ही डिफिएंसी को दूर करने के लिए प्रॉपर डाइट लेते रहना चाहिए। उन्होंने अबनॉर्मन ब्लीडिंग के बारे में भी बताया।

कांट्रासेप्टिव लेते रहें

अगर पीरिएड इरेग्यूलर हो तो क्या करें। पेरीमेनोपॉज के सब्जेक्ट पर डॉ एसआर पाल ने बताया कि इसके इरेग्यूलर होने पर भी आप कांट्रासेप्टिव लेते रहें। कम से कम यह अबॉर्सन से तो सेफ है, लेकिन इस बारे में अवेयरनेस की कमी है। वीमेन इस बारे में खुल कर बात करें और सभी को इस बारे में अवेयर किया जाना चाहिए। साथ ही पेरीमेनोपॉज के सभी विजिबल और इनविजिबल लक्षणों की जांच डाक्टर से जरूर कराना चाहिए।

कांप्लीकेशन हो तो

आम तौर पर वीमेन के गर्भ धारण के दस क्0 से फ्0 परसेंट तक कांप्लीकेटेड होते हैं। इंडिया में यही हालत है। इसमें गर्भ धारण की स्थितियां कांप्लीकेटेड हो जाती हैं। यहां तक कि शहरी क्षेत्र में म्0 परसेंट तक एनीमिक केस हैं। इस बारे में पुणे से आयी डॉ गिरिजा बाग ने क्रिटिकल केयर इन आब्सटेट्रीक्स के बारे में बताया कि बीपी के केस में यह काम्पलीकेशन सामने आती है। अगर गर्भधारण के दौरान ऐसे पेशेंट अचानक पहुंच जाती हैं तो इन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। इसमें मां और बच्चा दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। प्राय: स्किल्ड स्टाफ की कमी के कारण परेशानी भयावह हो जाती है।

क्यों होता है कांप्लीकेशन

- एनीमिया

- हार्ट डिजीज

- डायबिटीज

- कैल्सियम और विटामिन डी की कमी

स्क्रीनिंग कराकर बचें

आज के समय में वीमेन में कैंसर से मौत का सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर है। इससे हर साल फ्भ् परसेंट वीमेन की मौत हो जाती है। बाग्सकॉन की आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ प्रज्ञा मिश्रा चौधरी ने कहा कि इसके बारे में अवेयरनेस लाने की जरूरत है। इसके लिए रेग्यूलर चेकअप कराते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोलोनास्कोपी मेथड इसकी जांच में बेहद कारगर है।

जुड़वां बच्चे संवेदनशील

अगर गर्भ में जुड़वां बच्चे हो तो इसमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। डॉ मंजुगीता मिश्रा ने अपने प्रेजेंटेशन के दौरान इसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बांझपन की दवाओं, शादी का उम्र बढ़ना, देर से प्रेगनेंसी आदि के कारण जुड़वां बच्चा होने का कारण बनता है। इसका सबसे अधिक बड़ा दुष्प्रभाव पेरीनेटल मोर्टलिटी गर्भ के अंतिम महीने में एवं बच्चे के जन्म के एक सप्ताह बाद होनेवाला मृत्युदर ज्यादा होता है। इस अवस्था में चाहिए कि डॉक्टर से कम से कम दिन पर कंसल्ट करें। लेकिन गर्भ के पहले तीन महीने में अल्ट्रासाउंड करा कर जान लें कि बच्चा जुड़वां है या नहीं।

ताकि हर युवा निर्णय ले सके

ख्0ख्0 तक इंडिया दुनिया का सबसे अधिक यूथ वाला देश होगा। देश का हर तीसरा व्यक्ति यूथ होगा। चूंकि आज के यूथ ही किसी देश का फ्यूचर हैं तो उनमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने की जरूरत है। प्रत्येक फैमिली को इसके लिए अपना योगदान करना चाहिए। ये बातें फेडरेशन ऑफ आबस्ट्रेटिक एंड गाइनोकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया फॉग्सी की प्रेसिडेंट डॉ सुचित्रा पंडित ने बाग्सकॉन ख्0क्ब् के शेसन के दौरान कही। शनिवार की इनविंग को सेशन का इनॉगरेशन केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किया। इस मौके पर आर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ अलका पांडेय और सेक्रेटरी डॉ प्रज्ञा मिश्रा चौधरी सहित कई डॉक्टर्स मौजूद थीं।