काशीपुर में सिब्बल के न आने और आर्य की नाराजगी से झटका

-शाह की सफल रैली को जवाब नहीं दे पाई कांग्रेस

-आर्य ने फिर दिया संदेश, सारी स्थिति से वह नाखुश

DEHRADUN: काशीपुर से कांग्रेस को बहुत उम्मीदें थीं। खास तौर पर एक दिन पहले अमित शाह की सफल रैली का तो कांग्रेस जवाब देना ही चाहती थी, लेकिन कांगे्रस के अरमानों पर पानी ही फेरा है। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के न आने के नुकसान को कांग्रेस के स्थानीय वरिष्ठ नेता एकजुटता दिखाकर काफी हद तक कम कर सकते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। कांग्रेस के घर की दरार, उस कार्यक्रम में दिखाई दी, जिसे एकता प्रदर्शन का मजबूत मौका माना जा रहा था। काबीना मंत्री यशपाल आर्य की नाराजगी के भी साफ मायने हैं। सीएम हरीश रावत के साथ उनके छत्तीस के आंकडे़ आने वाले दिनों में पार्टी को नुकसान ही पहुंचाएंगे।

केंद्रीय नेताओं का नहीं सहारा

-बीजेपी की परिवर्तन रैली में पार्टी के केंद्रीय नेताओं का जमावाड़ा लगा रहा। खुद अमित शाह ने तीन रैलियां कीं। केंद्रीय मंत्रियों की तो बात ही क्या करें। इन स्थितियों के बीच, कांग्रेस की सतत विकास संकल्प यात्रा को देखिए। सीएम हरीश रावत और पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय को किसी बडे़ नेता का साथ नहीं मिल पाया। कपिल सिब्बल के गुरुवार के कार्यक्रम से उम्मीद थी, लेकिन वे नहीं पहुंचे, तो कांग्रेस को झटका लगा है।

उपेक्षा, आर्य और लंबी नाराजगी

-कांग्रेस में काबीना मंत्री यशपाल आर्य लंबे समय से उपेक्षित चल रहे हैं। ये ही वजह रही कि कुछ समय पहले उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग लेने से साफ मना कर दिया। विजय बहुगुणा के जमाने में तो उन्होंने एक बार अपनी सारी सरकारी सुविधाएं वापस कर दी थी। आर्य के इस्तीफे की खबरें पूरे पांच साल में कई बार उड़ी है। इन स्थितियों के बीच, गुरुवार के कार्यक्रम में आर्य को जब मंच पर लगे बैनरों में अपना नाम नहीं दिखा, तो वह कार्यक्रम से चले गए। बाद में सीएम हरीश रावत ने उनका मान मनौव्वल किया। आर्य कार्यक्रम में शरीक तो हुए, लेकिन कांगे्रस की गुटबाजी सतह पर जरूर दिखी।

-भीड़ के लिहाज से देखें, तो आज की हमारी रैली बेहद सफल रही है। कपिल सिब्बल अपरिहार्य कारणों से नहीं आ पाए, लेकिन रैली अपना संदेश देने में सफल रही है। यशपाल आर्य की पार्टी से कोई नाराजगी नहीं है। कुछ गलफहमी थी, जिसे दूर कर लिया गया था।

-मथुरा दत्त जोशी, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस।