- देश में पुलिस नहीं बल्कि आर्मी की जरूरत है

- अधिकारियों ने मेंटल पेशेंट बताते हुए भेजा पुलिस लाइन

Meerut: एसएसपी कार्यालय में उस समय हंगामा खड़ा हो गया, जब पुलिस लाइन में तैनात एक सिपाही मुंह पर भभूति लगाकर पहुंचा और बाबा होने का दावा करते हुए हंगामा करने लगा। उसका कहना था कि देश में पुलिस की नहीं, बल्कि आर्मी की जरूरत है। इससे पहले सिपाही सिविल लाइन थाने में हंगामा कर चुका था। बाद में साथी पुलिसकर्मियों ने उसे काबू में करते हुए पुलिस लाइन भेज दिया, वहां भी उसने जमकर हंगामा किया।

ये था मामला

हुआ यूं कि दोपहर को पुलिस लाइन में कार्यरत कांस्टेबल आदेश मुंह पर भभूति लपेटकर एसएसपी कार्यालय आ धमका। उसने अजीबोगरीब हरकतें शुरू कीं तो आसपास में पुलिसकर्मियों का मजमा लग गया। पुलिस कार्यालय में विभिन्न मसलों को लेकर सुनवाई के लिए आए फरियादी भी सिपाही को देखकर ठहर गए। आदेश ने हंगामा करते हुए खुद सिद्ध बाबा बताना शुरू किया तो साथी पुलिसकर्मियों ने उसे काबू में करने का प्रयास किया।

पुलिस नहीं आर्मी चाहिए

पुलिसकर्मियों ने जब उसे पकड़ने की कोशिश की तो वह उखड़ गया, उसने साथियों को धमकाते हुए कहा कि यहां पुलिस की नहीं बल्कि आर्मी की जरूरत है, वह सबको ठीक कर देगा। काफी देर चले हंगामे के बाद साथ के लोगों ने उसे काबू में करते हुए पुलिस लाइन भेजा। पुलिस लाइन में उक्त सिपाही ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। अधिकारियों का कहना है कि सिपाही मानसिक रूप से अस्वस्थ है, वहीं उसके खिलाफ कार्यवाही की बात भी कही जा रही है।

शायद तनाव में था

पुलिसकर्मी की हरकत से लोग एक ओर जहां हंसी ठिठौली कर रहे थे, वहीं अधिकारियों को गुस्सा आ रहा था। ऐसे में कुछ पुलिसकर्मियों का मानना था कि तनाव के कारण आदेश की यह हालत हुई है।

चुनाव में नहीं भेजा

आरआई सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि सिपाही बहुत दिनों से इस तरह की हरकतें कर रहा था। सुबह उसे ड्यूटी के लिए ढूंढा गया। लेकिन नहीं मिला। आदेश हाथरस जनपद के शादाबाद का रहने वाला है। उसकी हरकतों की वजह से ही उसे चुनाव ड्यूटी में नहीं भेजा गया।

पुलिस में तनाव के कारण

- कर्मचारियों को करनी पड़ती है 24 घंटे ड्यूटी।

- अधिकारियों का व्यवहार भी ठीक नहीं रहता है।

- समय पर छुट्टी न मिलती है, ड्यूटी शेड्यूल भी ठीक नहीं है।

- पुलिस कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं भी नहीं हैं।

एक्सपर्ट सेज

जब तनाव के कारण व्यक्ति डिप्रेशन में पहुंच जाता हैं, तो बाइपोलर डिसआर्डर नामक बीमारी उसे घेर लेती है। फिर व्यक्ति इसी तरह की बहकी-बहकी बातें करता है। उसे अपने से ज्यादा कोई दूसरा बुद्धिमान नहीं लगता। जो वह बोल रहा है, उसे ही ठीक मानता है।

-डॉ। रवि राणा, वरिष्ठ मनोचिकित्सक मेडिकल कालेज